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दागियों पर दांव : राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने दागी उम्‍मीदवारों को उतारा

राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस ने दागियों पर जमकर दांव लगाया है. दोनों दलों ने होड़ लगाकर आपराधिक छवि के नेताओं को मैदान में उतारा है.

Updated on: 23 Nov 2018, 11:59 AM

जयपुर:

वादे हैं वादों का क्या, ये पंक्तियां इन दिनों राजस्थान  की राजनीति में खरी साबित हो रही हैं. राजनीति में स्‍वच्‍छता का दावा करने वाली पार्टियां चुनाव आते-आते दागियों पर दांव लगाने लगती हैं. राजस्थान में बीजेपी और कांग्रेस ने दागियों पर जमकर दांव लगाया है. दोनों दलों ने होड़ लगाकर आपराधिक छवि के नेताओं को मैदान में उतारा है. राजस्‍थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने 2 मंत्री, 12 विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक समेत 50 ऐसे लोगों को चुनाव में उतारा है, जिन पर आपराधिक केस चल रहे हैं. 

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सत्तारूढ़ बीजेपी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने जिताऊ एवं टिकाऊ प्रत्याशियों की आड़ में दागदार छवि वालों को चुनावी मैदान में उतारने से परहेज नहीं किया. चुनावी दंगल में उतरे भाजपा के 20 और कांग्रेस के 30 प्रत्याशियों ने शपथ पत्र में खुद पर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी दी है. इनमें विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, मौजूदा सरकार में मंत्री कालीचरण सराफ, बंशीधर बाजिया एवं सचेतक कालूलाल गुर्जर, भाजपा विधायक शंकरलाल शर्मा, फूल सिंह मीणा, कैलाश चौधरी, चंद्रकांता मेघवाल और झाबर सिंह खर्रा शामिल हैं.

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कांग्रेस में विधायक दल के उपनेता रमेश मीणा, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, अशोक चांदना, धीरज गुर्जर, दर्शन सिंह ने शपथ पत्र में आपराधिक केस होने की जानकारी दी है. ज्यादातर मामले जन आंदोलन, धरना-प्रदर्शन, तोड़फोड़, रास्ता रोकने, चक्का जाम, राजकार्य में बाधा और लोकसेवकों से अभद्र व्यवहार करने से संबंधित हैं. इनमें कइयों के खिलाफ आरोप सिद्ध भी हुए, लेकिन जुर्माना लगाकर कोर्ट से राहत मिल गई. वहीं कई मामलों में परिवीक्षा का लाभ दे दिया गया.

कैलाश मेघवाल पर कब्‍जाधािरयों का पक्ष लेने का आरोप 

बीजेपी ने दो मंत्रियों और 7 विधायकों सहित 20 प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा है, जो दागी हैं. इनमें विधायक कैलाश मेघवाल, कालीचरण सराफ, बंशीधर बाजिया, कालूलाल गुर्जर, मौजूदा शंकरलाल शर्मा, फूल सिंह मीणा, कैलाश चौधरी, चंद्रकांता मेघवाल, झाबर सिंह खर्रा. इनमें पूर्व मंत्री मदन दिलावर, आदूराम, विक्रम बंशीवाल, रमेश चंद, फूल सिंह मीणा, उदयलाल डांगी, राजेंद्र, विकास चौधरी, हकरू मईड़ा, खेमराज, मुकेश गोयल, संजय शर्मा शामिल हैं. कैलाश मेघवाल पर 1996 में रामगोपाल ने पैतृक मकान पर मोची समाज के 150 लोगों पर कब्जे का आरोप लगाया. तत्कालीन गृह मंत्री कैलाश मेघवाल पर कब्‍जा करने वालों का सहयोग करने का आरोप है. कोर्ट ने इसी 11 अक्टूबर को इस पर संज्ञान लिया.

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परसादी लाल मीणा पर हत्‍या और अमानत में खयानत का मामला 

कांग्रेस में भी यही हाल है. पूर्व मत्री परसादी लाल मीणा पर 12 साल पहले वर्ष 2006 से हत्या, साक्ष्य मिटाने एवं अमानत में खयानत का मामला चल रहा है. विधायक अशोक चांदना के खिलाफ 5, धीरज गुर्जर के खिलाफ दो, दर्शन सिंह, महेंद्रजीत सिंह मालवीय एवं रमेश मीणा, भरोसीलाल जाटव, राजेंद्र सिंह विधुड़ी, प्रकाश चौधरी, आनंदीराम, रामलाल, रामनिवास, मुकेश भाकर, चेतन चौधरी, विजयपाल मिर्धा, पुष्कर लाल डांगी, नंदाराम, करण सिंह, मदन प्रजापत, हेमंत भाटी, राजेंद्र सिंह विधुड़ी, राकेश, अशोक चांडक, दौलत सिंह, वेद प्रकाश सोलंकी, लालचंद कटारिया, पुष्पेंद्र भारद्वाज, मनीष यादव, टीकाराम जूली, सुभाष मील एवं रामलाल के खिलाफ भी विभिन्‍न मामले चल रहे हैं.

दरअसल पार्टियां आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियो को मैदान में नही उतारने की बातें करती हैं मगर दलो के लिए सिर्फ जिताऊ प्रत्‍याशी ही चाहिए, चाहे वो आपराधिक छवि का ही क्यों ना हो.

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