logo-image

जानें क्यों बीजेपी-कांग्रेस जारी नहीं कर रहीं अपने प्रत्याशियों की सूची

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 12 और 20 नवम्बर को होने हैं। इसकी तैयारी में सभी पार्टियां जोरों से जुटी हैं, लेकिन प्रदेश की दोनों ही प्रमुख पार्टियां प्रत्याशियों के चयन को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं।

Updated on: 14 Oct 2018, 10:25 AM

रायपुर:

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 12 और 20 नवम्बर को होने हैं. इसकी तैयारी में सभी पार्टियां जोरों से जुटी हैं, लेकिन प्रदेश की दोनों ही प्रमुख पार्टियां प्रत्याशियों के चयन को लेकर फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं. दोनों ही पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं को नाराज नहीं करना चाहती. बीजेपी से एक कदम आगे बढ़कर कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची की तारीख निर्धारित कर चुकी थी, लेकिन पार्टी में कुछ असहज षड्यंत्र कारी घटनाओं और दल बदल होने की वजह से सूची जारी नहीं की गई.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ कांग्रेस को चुनाव से पहले तगड़ा झटका, विधायक रामदयाल उइके बीजेपी में शामिल

इधर जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे भाजपा में भी पहली सूची जल्द से जल्द जारी करने का दबाव बढ़ता जा रहा है. इसी को लेकर भाजपा में इन दिनों जोर-शोर से तैयारी की जा रही है. शुक्रवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दो दिवसीय प्रदेश दौरे पर आए. इस दौरान उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं में जोश का संचार करते हुए चुनावी तैयारियों में एक जुट होकर आपसी समन्वय बनाकर कैसे आगे बढ़ना है ऐसा मंत्र दिया.

बूथ स्तर तक के सभी कार्यकर्ताओं को दी गई डेमो मतदान पेटी

सूत्रों के अनुसार शाह ने जाते-जाते भाजपा की जीत सुनिश्चित करने कार्यकर्ताओं को टिप्स देकर गए हैं, जिसके पालन के लिए शाह के जाते ही भाजपा कार्यालय में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की. इसमें बूथ स्तर तक के सभी कार्यकर्ताओं को डेमो मतदान पेटी दी गयी है. इस मतदान पेटी में भाजपा के सभी संभावित प्रत्यशियों को कार्यकर्ताओं द्वारा वोट किये जायेंगे.

20 अक्टूबर के बाद 18 सीटों के लिए जारी हो सकती है बीजेपी की सूची

बता दें कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने हाल ही में ये स्पष्ट किया था कि 20 अक्टूबर के बाद 18 सीटों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी और दूसरे चरण की जिन सीटों पर चुनाव होने हैं, उनके नाम भी जल्द विचार कर लिए जाएंगे. ऐसे में डेमो मतदान करा का सहारा लेते हुए भाजपा पार्टी की आपसी फूट से भी बच जाएगी. शाह के मंत्र से पार्टी केवल चुनाव जिताऊ चेहरों को सुनिश्चित करते हुए नजर आ रही है.