Russia Ukraine War: निष्पक्ष भारत पर बढ़ा भरोसा, रूस-अमेरिका बोले मोदी खत्म कराए युद्ध
रूस-यूक्रेन जंग (Russia Ukraine War) में पूरी दुनिया दो धड़ों में बंट गई है. एक तरफ अमेरिका और उसके मित्र देश हैं. लहीं, दूसरी ओर रूस और उसके समर्थक चंद देश हैं. ऐसे में पूरी दुनिया की निगाह भारत (India) पर टिकी हुई है.
highlights
- भारत के रूस से है नजदीकी संबंध
- रूसी विदेश मंत्री से मिले पीएम मोदी
- दोनों नेताओं में 40 मिनट तक हुई बात
नई दिल्ली:
रूस-यूक्रेन जंग (Russia Ukraine War) में पूरी दुनिया दो धड़ों में बंट गई है. एक तरफ अमेरिका (United States of America) और उसके मित्र देश हैं. लहीं, दूसरी ओर रूस और उसके समर्थक चंद देश हैं. ऐसे में पूरी दुनिया की निगाह भारत (India) पर टिकी हुई है कि भारत किस ओर जाता है. दरअसल, अमेरिका और रूस दोनों ही भारत को अपने पाले में करने की कोशिश में जुटा है. हालांकि, भारत अपनी पुरानी गुट निरपेक्ष नीति अपनाते हुए खुद को अब तक तटस्थ रखा है. यही वजह है कि भारत ने अब तक दोनों पक्षों की ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में लाए गए प्रस्तावों के खिलाफ या समर्थन में वोट डालने के बजाय वोटिंग से गैरहाजिर रहने का विकल्प चुना था.
भारत को अपने-अपने पाले में लाने के लिए अमेरिका और रूस हर संभव प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, अभी तक भारत ने दोनों ही गुट से दूरी बनाकर रखी है. भारत युद्ध के मुद्दे पर भले ही रूस के साथ खड़ा नहीं हो, लेकिन आर्थिक और सामरिक रूप से अपने पुराने और भरोसेमंद सहयोगी रूस के साथ खड़ा दिखाई पड़ता है. इस का अंदाजा इस बात ये भी लगाया जा सकता है कि हाल ही में चीन, मैक्सिको और ब्रिटेन के विदेश मंत्री और अमेरिका, जर्मनी और नीदरलैंड के सुरक्षा सलाहकार जब भारत आए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन नेताओं को मुलाकात के लिए वक्त नहीं दिया. लेकिन, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव गुरुवार को जब भारत पहुंचे तो पीएम मोदी न सिर्फ उनसे मिले, बल्कि आर्थिक, रणनीतिक और सामरिक संबंधों पर चर्चा भी की. पीएम मोदी रूसी विदेश मंत्री लावरोव के बीच करीब 40 मिनट बातचीत हुई.
इसलिए रूस जता रहा है भारत पर भरोसा
दरअसल, रूस और भारत दोनों ही पुराने और संकट के वक्त आजमाए हुए मित्र हैं. सामरिक क्षेत्र में दोनों ही देशों के संबंध बहुत पुराने हैं. ऐसे में यूक्रेन पर हमले की वजह से पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहा रूस अपनी पुरानी दोस्ती पर भरोसा जता रहा है. यहीं वजह है कि रूसी राजदूत से लेकर विदेश मंत्री और राष्ट्रपति पुतिन तक यह कह चुके हैं कि भारत ने इस विवाद में जो रुख अपनाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है. दरअसल, भारत अब तक बिना किसी दबाव के अपने देश हित में फैसले लेता आया है. यही वजह है कि एक तरफ अमेरिका, यूक्रेन और UN युद्ध समाप्त कराने की भारत से अपील कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव पीएम मोदी से मुलाकात से पहले भारत को मध्यस्थता करने के लिए कह चुके हैं.
अमेरिका ने भी भारत से की युद्ध खत्म कराने की अपील
रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की भूमिका अहम होने वाली है. यूक्रेन, अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देशों की निगाहें भारत पर आकर टिक गई है. रूस से भारत के नजदीकी रिश्ते को देखते हुए UN समेत सभी पश्चिमी देश भारत से युद्ध समाप्त कराने की अपील कर रहे हैं. अब तक रूस से दूर रहने की सलाह देने वाला अमेरिका ने भी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई इवानोव की भारत के दौरे के बीच अपील की है कि भारत अपने संबंधों का इस्तेमाल करते हुए रूस को यूक्रेन पर हमला करने से रोकने के लिए राजी करें.
अमेरिका ने पहले की थी धमकाने की कोशिश
गौरतलब है कि भारत के रूस से नजदीकी संबंध को देखते हुए यूक्रेन पर हमले रुकवाने की अपील कर रहा है. हालांकि, अमेरिका अब से पहले भारत को रूस से दूर रहने की चेतावनी देता आ रहा था. अमेरिका ने पिछले गुरुवार को आगाह किया था कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे. साथ ही, यह भी कहा कि वह रूस से ऊर्जा एवं अन्य वस्तुओं का भारत के आयात में बढ़ोतरी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा. अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) दलीप सिंह ने मास्को और बीजिंग के बीच गहरी साझेदारी का जिक्र कर भारत को डराते हुए कहा था कि भारत को यह उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करता है तो रूस, भारत की रक्षा करने के लिए दौड़ा चला आएगा.
ये भी पढ़ें- Russia Ukraine War: घुटने पर आया भारत को अंजाम भुगतने की धमकी देने वाला अमेरिका
38वें दिन भी यूक्रेन पर रूसी हमले हैं जारी
38वें दिन भी यूक्रेन पर रूसी आक्रमण जारी है. इस हमले में रूस कई शहर और सैन्य अड्डे खंडहर में तब्दील हो गए हैं. वहीं, हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. इसके अलावा लाखों लोग अपना घर बार छोड़कर शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हो गए हैं.
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