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आत्मनिर्णय के अधिकार पर पाक समर्थिक प्रस्ताव पर UNGA ने लगाई मुहर

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पाकिस्तान प्रायोजित उस प्रस्ताव के मसौदे को स्वीकार कर लिया है, जिसमें औपनिवेशिक और विदेशी कब्जे में रह रहे लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन किया गया है।

Updated on: 18 Nov 2017, 11:52 PM

highlights

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आत्मनिर्णय के अधिकार से जुड़े पाकिस्तान प्रायोजित प्रस्ताव के मसौदे पर लगाई मुहर
  • प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी भी देश में विदेशी सैन्य हस्तक्षेप, आक्रामकता और कब्जे की कोशिशों का संयुक्त राष्ट्र महासभा विरोध करेगा

संयुक्त राष्ट्र:

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पाकिस्तान प्रायोजित उस प्रस्ताव के मसौदे को स्वीकार कर लिया है, जिसमें औपनिवेशिक और विदेशी कब्जे में रह रहे लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन किया गया है।

पाकिस्तान ने यह प्रस्ताव वैसे समय में पास कराया है, जब बलोचिस्तान और गिलगिट बाल्टिस्तान में लगातार पाकिस्तान के खिलाफ वहां के स्थानीय लोग आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग लेकर आंदोलन कर रहे हैं।

केवल पाकिस्तान ही नहीं बल्कि स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन में भी फ्री बलोचिस्तान को लेकर प्रदर्शन होते रहे हैं।

हाल के दिनों में मुहाजिर कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के अल्ताफ हुसैन ने आत्मनिर्णय के अधिकार को लेकर आंदोलन शुरू किया है। उनका कहना रहा है कि पाकिस्तान सुरक्षा बल मुहाजिरों का क्रूर तरीके से दमन करते रहे हैं।

प्रस्ताव में कहा गया है कि किसी भी देश में विदेशी सैन्य हस्तक्षेप, आक्रामकता और कब्जे की कोशिशों का संयुक्त राष्ट्र महासभा विरोध करेगा।

इसमें उन देशों से आह्रान किया गया है, जिसने अन्य देश में सैन्य हस्तक्षेप या कब्जा कर रखा है, कि वह तत्काल प्रभाव से विदेशी धरती और कब्जा वाले क्षेत्रों पर दमन, भेदभाव और शोषण की सभी गतिविधियों को बंद करें।

193 सदस्यीय सभा की तीसरी समिति में बगैर मतदान के गुरुवार को 75 देशों ने प्रस्ताव को समर्थन दिया।

समिति में प्रस्ताव पेश करते हुए पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने कहा कि आत्मनिर्णय के अधिकार ने विदेशी कब्जे के खिलाफ संघर्ष में लोगों के बीच उम्मीद जगाई है और इस अधिकार का सभी प्रमुख संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलनों, गुट-निरपेक्ष आंदोलन और इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने समर्थन किया है।

इस प्रस्ताव को अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किया जाना है। हालांकि प्रस्ताव को लेकर अमेरिका ने आपत्ति जताई। अमेरिका ने कहा कि इस मसौदा प्रस्ताव में जिन अंतरराष्ट्रीय कानूनों का हवाला दिया गया है, उसमकी गलत व्याख्या की गई हैं और यह मौजूदा व्यावहारिक स्थिति से मेल नहीं खाता है।

लोधी ने कहा कि आत्मनिर्णय का अधिकार सभी महत्वपूर्ण मानवाधिकार सम्मेलनों की 'आधारशिला' रही है, जो नागरिक और राजनीतिक अधिकार के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों का रास्ता साफ करता है।

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उन्होंने कहा, 'सभी लोगों को आत्मनिर्णय और राजनीतिक दर्जा तय करने के अधिकार के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास करने का हक है।'

गौरतलब है कि पाकिस्तान साजिश के तौर पर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के मुद्दे को उठाकर भारत को घेरने की कोशिश करता रहा है। वह कई मौकों पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर में मानवाधिकार के कथित हनन के मामले का उठा चुका है।

23 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की 72वीं महासभा में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को बेनकाब कर दिया था।

यूएन की आम सभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगाए थे। इसके जवाब में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आतंकवाद को फिर से पारिभाषित किए जाने की मांग की थी।

उन्होंने कहा था कि भारत जहां गरीबी से लड़ रहा है, वहीं पाकिस्तान आजादी के बाद से ही भारत से लड़ रहा है।

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