सुपरपावर अमेरिका को सनकी तानाशाह किमजोंग की ललकार
उत्तर कोरिया का तानाशाह किमजोंग क्या सर्वनाश लाकर ही मानेगा, क्या तीसरे विश्वयुद्ध का आगाज कर ही किम जोंग उन दम साधेगा ? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि किम जोंग उन ने अमेरिका को एक बार फिर से खाक करने की धमकी दी है।
नई दिल्ली:
उत्तर कोरिया का तानाशाह किमजोंग क्या सर्वनाश लाकर ही मानेगा, क्या तीसरे विश्वयुद्ध का आगाज कर ही किम जोंग उन दम साधेगा ? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि किम जोंग उन ने अमेरिका को एक बार फिर से खाक करने की धमकी दी है।
दो मुल्कों की तनानती से दुनिया पर महाविनाश का खतरा बढ़ता जा रहा है।मिसाइलों और परमाणु बम की ताकत दिखाने की होड़ से तीसरे विश्वयुद्ध की आहट सुनाई दे रही है। आशंका जताई जा रही है कि धरती पर एक बार फिर से विनाश का बवंडर उठेगा। तबाही की ऐसी तस्वीरें दिखाई देंगी जिसकी कल्पना दुनिया ने अब तक नहीं की होगी।
कुछ दिनों पहले अमेरिका ने उत्तर कोरिया को महज 35 मिनट में खाक करने की धमकी दी तो अब उत्तर कोरिया ने भी ऐलान कर दिया कि उसके बनाए एक एक विध्वंसक पर अमेरिका की तबाही का नाम लिखा है।
उत्तर कोरिया के एक अधिकारी ने कहा है कि उत्तर कोरिया के हथियारों के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ अमेरिका है।साउथ कोरिया, चीन और रूस नहीं। सनकी तानाशाह सुपरपावर को भस्म करने की बात कह रहा है, वहीं अमेरिका के सुपरबॉस ट्रंप के तेवर भी तल्ख बने हुए हैं। ऐसे में अगर जंग के हालात बनते हैं, तो इससे उठने वाली चिंगारी दुनिया के कई मुल्कों को अपनी चपेट में ले लेगी।
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नए साल का आगाज ही उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अमेरिका को न्यूक्लियर हमले की धमकी के साथ किया था। किम ने कहा था, पूरा अमेरिका हमारी मिसाइलों की ज़द में है। न्यूक्लियर बटन मेरे ऑफिस के टेबल पर है। उन्हें समझना चाहिए कि ये धमकी नहीं, बल्कि सच्चाई है।
किम के इस बयान ने अमेरिका हलके में खलबली मचा दी। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी उत्तर कोरिया में प्रलय का अल्टीमेटम दे दिया। कोई उन्हें बता दे कि मेरी डेस्क पर भी न्यूक्लियर बटन है। मेरा बटन उनसे काफी बड़ा और शक्तिशाली है और यह काम भी करता है।
तमाम दबाव और प्रतिबंध के बावजूद उत्तर कोरिया लगातार अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। मिसाइलों की ताकत को बढ़ाने वाला परीक्षण कर रहा है। उसके टारगेट पर एक ही मुल्क है और वो है दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका।
डिक्टेटर किम का 'मिशन 13' का मतलब आखिर क्या है। और क्यों अमेरिका ने परमाणु हमले से बचने की तैयारी शुरू कर दी है। क्या उत्तर कोरिया की मिसाइलों की ताकत इतनी है कि वो अमेरिका की मुख्य भूमि को टारगेट कर सके।
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डिक्टेटर किम का 'मिशन 13'
तानाशाह किम की सनक की वजह से आज दुनिया जंग के मुहाने पर खड़ी है। अमेरिका और उत्तर कोरिया परमाणु युद्ध पर आमदा दिखाई दे रहे हैं।
उत्तर कोरिया का सनकी तानाशाह किम जोंग उन बार-बार अमेरिका में परमाणु कहर बरपाने की धमकी दे रहा है वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी तल्ख रूख अख्तियार किए हुए दिखाई दे रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि आखिर तानाशाह का हथियारों का ज़खीरा क्या इतना ताकतवर है कि वो प्योंगयांग से सीध वॉशिंगटन को टारगेट कर सके।
किम के तरकश में पांच बड़ी मिसाइलें हैं, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वो अमेरिका तक मार कर सकती है। किम की सबसे बड़ी ताकत केएऩ-08 मिसाइल है। दावा किया जाता है कि इसकी क्षमता 11 हजार 500 किलोमीटर तक मार करने की है।
किम की तरकश का दूसरा अहम हथियार है ह्वासोंग-14। नॉर्थ कोरिया दावा करता है कि ये मिसाइल 7 हजार किलोमीटर तक मार कर सकता है। वहीं नोडोंग मिसाइल 13 किलोमीटर तक टारगेट कर सकती है।
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किम का दावा है कि उसके पास सटीक निशाना लगाने में माहिर ह्वासोंग मिसाइल भी है जो हजार किलोमीट की दूरी तक मार कर सकती है। एक्सपर्ट का दावा है कि चीन की मदद से नॉर्थ कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम, अब दुनिया के लिए खतरा बनता जा रहा है।
रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा के मुताबिक उत्तर कोरिया के दुनिया के लिए खतरा बनने में चीन ने मदद की है। लेकिन सवाल ये है कि क्या प्योंगयांग से 11 हजार किलोमीटर की दूरी पर मौजूद अमेरिका को तानाशाह अपनी मिसाइलों से तबाह कर सकता है।
प्योंगयांग से वॉशिंगटन की दूरी करीब 11 हजार 35 किलोमीटर है। विशेषज्ञों का दावा है कि किम, केएऩ-08 मिसाइल के जरिए वॉशिंग्टन को टारगेट कर सकता है। वहीं न्यूयॉर्क से लेकर पेंटागन तक किम अपने केएऩ-08 मिसाइलों से तबाही मचा सकता है।
हालांकि जानकार दावा करते हैं कि अमेरिकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भेद पाना नार्थ कोरिया की मिसाइलों के लिए आसान नहीं होगा लेकिन खतरा तो मौजूद है। रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा के मुताबिक अमेरिका को उत्तर कोरिया के सीधे हमले से डर नहीं है।
नॉर्थ कोरिया के लिए अमेरिका मेनलैंड को निशाना बनाना चाहे जितना दुश्वार हो लेकिन उसके लिए साउथ कोरिया और जापान को टारगेट करना मुश्किल नहीं है। प्योंगयांग से सियोल की दूरी महज़ 195 किलोमीटर है।
हालांकि इतना तो तय है कि तानाशाह सियोल पर परमाणु हमला नहीं करेगा क्योंकि इससे नॉर्थ कोरिया में भी तबाही मचेगी लेकिन अपनी बर्बादी वाली मिसाइलों के जरिए किम जोंग साउथ कोरिया और जापान में मौजूद हजारों अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाने की जुर्रत तो कर ही सकती है।
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दरअसल प्योंगयांग से टोक्यो की दूरी 1284 किलोमीटर है। जाहिर है हमला हुआ तो अमेरिका भी मुकम्मल जवाह देगा।
तानाशाह किम ने 'मिशन 13' के तहत अमेरिका के कौन से शहरों को टारगेट पर रखा है...बताएंगे आपको बने रहिए न्यूज़ नेशन के साथ अगर जंग के हालात बनते हैं, तो अमेरिका के आगे नॉर्थ कोरिया का टिक भी पाना आसान नहीं होगा।
हम आपको अमेरिका के कुछ घातक और पावलफुल वेपन्स के बारे में बताएंगे जो उसे सबसे ताकतवर बनाते हैं।
अमेरिका को दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क का खिताब सिर्फ उसकी इकोनॉमी की वजह से ही नहीं मिला है। अमेरिका को ताकतवर बनाते हैं उसके विध्वंसक हथियार जो किसी भी मुल्क को खाक में मिलाने का माद्दा रखते हैं।
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ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक, 2017 की वर्ल्ड मिलिट्री रैंकिंग में यूएस मिलिट्री दुनिया में सबसे ताकतवर है और पहले नंबर पर है वहीं नॉर्थ कोरिया की मिलिट्री का नंबर 23वां है।
अमेरिका के पास ट्राइडेंट 2 (डी5) सबमरीन, मैसिव ऑर्डिनेंस पेनेट्रेटर, बी61-12 न्यूक्लियर बम, एलजीएम-30 मिनटमैन मिसाइल जैसे खतरनाक हथियार हैं। ये हथियार किसी भी देश को पूरी तरह बर्बाद करने के लिए काफी है।
हालांकि उत्तर कोरिया की धमकी को अमेरिका हलके में नहीं ले रहा क्योंकि कहा जाता है कि दुश्मन को कभी छोटा और कमजोर नहीं समझना चाहिए वर्ना अंजाम घातक हो सकता है।
ट्रंप ने सनकी तानाशाह पर नकेल कसने के लिए खास रणनीति बनाई है जिस मिसाइल को लेकर किम जोंग उन फुदक रहा है उसे हवा में ही तबाह करने के खाके पर अमल भी शुरू हो चुका है।
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