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मानसरोवर यात्रा : राहुल गांधी पशुपतिनाथ मंदिर का दर्शन छोड़ सीधे पहुंचे ल्हासा

कैलाश मानसरोवर के 12 दिनों की यात्रा पर गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन को छोड़कर तिब्बत में ल्हासा पहुंच गए।

Updated on: 01 Sep 2018, 10:57 PM

काठमांडू:

कैलाश मानसरोवर के 12 दिनों की यात्रा पर गए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन को छोड़कर तिब्बत में ल्हासा पहुंच गए। राहुल गांधी के इस यात्रा पर पहले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस पर कई सवाल खड़े कर विवाद पैदा कर चुकी है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक नेपाल में भारतीय मिशन के अंदर के एक सूत्र ने बताया, 'राहुल गांधी यहां एक व्यक्तिगत दौरे पर थे और पशुपतिनाथ दर्शन की योजना बनाए थे लेकिन वे शनिवार दोपहर को सीधे ल्हासा चले गए।'

कैलाश मानसरोवर जाने के लिए शुक्रवार को राहुल गांधी नेपाल पहुंचे थे। उम्मीद थी कि राहुल काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी भारत जाने से पहले पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन किए थे।

गांधी के दौरे को लेकर नेपाल पुलिस के एक प्रवक्ता सैलेन्द्र थापा छेत्री ने बताया, 'यह उनका व्यक्तिगत दौरा था और वो यहां कैलाश मानसरोवर जाने के लिए यहां रुके थे। हमने उन्हें और भारत से उनके साथ आए लोगों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराई थी। हमे उनके कार्यक्रम के बारे में जानकारी नहीं थी और इसे गोपनीय रखा गया था।'

अपने आप को भगवान शिव का भक्त मानने वाले राहुल गांधी ने कहा था कि वह कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाएंगे। राहुल ने कर्नाटक चुनावों के दौरान अपने विमान में आई गड़बड़ी के दौरान कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने का फैसला किया था।

शांति की चाह में यात्रा पर गए राहुल गांधी ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा, 'ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतम् गमय। ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥'

कांग्रेस अध्यक्ष की इस धार्मिक यात्रा पर शुक्रवार को बीजेपी ने निशाना साधा था। बीजेपी ने दावा किया था कि राहुल गांधी द्वारा कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए एक औपचारिक विदाई चाहते थे और उन्होंने चीन के राजदूत से उन्हें विदा करने के लिए कहा था। इस बयान के बाद कांग्रेस और बीजेपी के बीच विवाद छिड़ गया।

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, 'राहुल गांधी चाहते थे कि चीन के राजदूत उन्हें विदाई दें। राजदूत ने इसके लिए विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के लाउंज के इस्तेमाल के लिए अनुमति मांगी थी, जिससे इस स्थान का चीन के राजदूत और देश के दूसरे कूटनीतिक लोगों की मौजूदगी में औपचारिक विदाई देने के लिए इस्तेमाल किया जा सके।'

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पात्रा ने कहा, 'यह समझना चाहिए कि आप राहुल गांधी हैं और चीनी गांधी नहीं हैं तो आपको चीन के राजदूत क्यों विदाई देंगे, जब आप नेपाल जा रहे हैं। इस तरह का कोई प्रोटोकॉल नहीं है। राहुल गांधी ऐसा क्यों चाहते थे? इस तरह की मांग चीन के राजनयिक द्वारा क्यों की गई। यह गंभीर है और इस पर कांग्रेस को जवाब देना चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'लेकिन सवाल यह है कि चीन के राजदूत चीन के एक गैर निवासी को क्यों विदाई देना चाहते थे। उन्होंने भारतीय सांसदों व भारतीय नागरिकों के साथ ऐसा कभी नहीं किया। सवाल यही है। इससे चीन का क्या संबंध है। मैं राहुल गांधी के चीन के संबंध पर सवाल उठा रहे हैं क्योंकि इसके पीछे इतिहास रहा है।'

उन्होंने कहा, 'क्या यह सही नहीं है कि गांधी परिवार को चीन में बीजिंग ओलंपिक के उद्धाटन के लिए आमंत्रित किया गया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चीन सरकार की विशेष अतिथि थीं, हालांकि, उनके पास कोई सरकारी पद नहीं था। इसके बाद भी चीन के राजदूत पूरे परिवार को विदाई देने के लिए हवाईअड्डे पर गए थे। ये रिश्ता क्या कहलाता है।'

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कांग्रेस ने इस पर जवाबी हमला करते हुए कहा कि बीजेपी इस तरह की 'सस्ती' राजनीति कर भगवान शिव और मां पार्वती का अपमान कर रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी व व्यग्र भाजपा इस धार्मिक यात्रा का मजाक उड़ाकर अपनी संकीर्णता व नफरत की मानसिकता दिखा रहे हैं।

सुरजेवाला ने कहा, 'इस मंगल यात्रा को हनीमून पर्यटन बताकर भाजपा ने हिंदू धर्म व विश्वास पर घिनौना हमला किया है।'