OBOR और CPEC से पाकिस्तान को आर्थिक गुलाम बनाएगा चीन
डॉन के अनुसार इस परियोजना के माध्यम से चीन अपने आर्थिक हितों को साधने में लगा है और भविष्य में पाकिस्तान को अपना उपनिवेश बना लेगा।
नई दिल्ली:
सीपीईसी को लेकर पाकिस्तान भले ही इस परियोजना से जुड़कर अपनी पीठ ठोंक रहा हो लेकिन चीन की चाल का खुलासा पाकिस्तान के ही अखबार ने किया है।
पाकिस्तान के अखबार डॉन ने दावा किया है कि उसके पास सीपीईसी से जुड़े समझौते से संबंधित सारे दस्तावेज़ हैं। डॉन के अनुसार इस परियोजना के माध्यम से चीन अपने आर्थिक हितों को साधने में लगा है और भविष्य में पाकिस्तान को अपना उपनिवेश बना लेगा।
पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक सीपीइसी का मकसद केवल व्यापार को बढ़ाना या नियंत्रित करना नहीं है बल्कि पाकिस्तान की संस्कृति को भी प्रभावित करने की कोशिश है।
फिलहाल पाकिस्तान सरकार आर्थिक गलियारे के फायदे बताने में जुटी है। लेकिन सीपीइसी के जरिए चीन पाकिस्तान की संस्कृति को भी प्रभावित करेगा ।
डॉन के मुताबिक ये शायद पहला ऐसा सौदा होगा जो पाकिस्तान के इतिहास में कभी हुआ ही नहीं हो। पाकिस्तान ने पहली बार किसी निवेश के लिये अपने दरवाज़े खोल दिये हों। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि पाकिस्तान की कृषि इस परियोजना से प्रभावित होगी। A
सीपीईसी परियोजना के तहत औद्योगिक क्षेत्र बनाए जाने में सबसे प्रमुख बिंदु ये है कि ये 'निशिचित शर्तों को पूरा करती हों, जिसमें पानी की आवश्यकता, बुनियादी सुविधाएं, आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति।'
लेकिन इस योजना में सबसे ज्यादा फोकस कृषि क्षेत्र में दिया जा रहा है। जो कि सीपीईसी की तैयार की जा रही छवि से बिलकुल अलग है।
आइये जानते हैं चीन की योजनाओं के बारे में .....
# पाकिस्तान चीनी कंपनियों को सीपीईसी के किनारे की हजारों एकड़ खेती योग्य जमीन दे रही है, जिसमें चीनी कंपनियां अपने फार्म में खेती करेंगी और उत्पादों का प्रसंस्करण करेंगी। उस क्षेत्र में सिंचाई तकनीक से लेकर उन्नत किस्म के बीजों के विकास आदि चीन उपलब्ध कराएगा। फलों, सब्जियों, दालों और मांस का प्रसंस्करण चीनी कंपनियां करेंगी।
# इसके अलावा कृषि उत्पाद के प्रॉसेसिंग में लगी चीनी कंपनियों को चीन सभी सुविधाएं मुहैया कराएगा। जिसके तहत चीनी बैंकों और सरकार से लोन आदि की सुविधा दी जाएगी। साथ ही असुविधाओं को दूर करने के लिये वे पाकिस्तान की सरकार से सीधे संपर्क कर सकेंगे।
# चीन इस ‘आर्थिक-गलियारे’ के साथ-साथ कृषि उत्पादों को प्रोत्साहन देकर अपने शिंगजियांग क्षेत्र का भला करना चाहता है। काशगर क्षेत्र जो शिंगजियांग का हिस्सा है उसके विकास को लेकर योजना बनाया है। इसका 50 फीसदी क्षेत्र गरीबी से जूझ रहा है और इतना मुख्य क्षेत्र से इतना अलग-थलग है कि उसके विकास को बढ़ावा देने के लिए बड़े बाजारों से उसका जुड़ना मुश्किल है। यह क्षेत्र ऐसा है कि पाकिस्तान को शायद ही यहां कोई बाज़ार मिल सके।
पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र में चीन के निवेश की मंशा और प्रेरणा भी यही क्षेत्र है।
कृषि के विकास के लिये चीन की मदद के बदले पाकिस्तान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पाकिस्तान सरकार को चीनको वो हर चीज़ मुहैय़ा करानी होगी जो चीन और चीनी कंपनियां मांगेंगी।
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# पेशावर से लेकर कराची तक चीन 24 घंटे सड़कों और व्यस्त बाजारों का रियल टाइम वीडियो रिकॉर्डिंग कराएगा, वहां पर होने वाली हर हरकत पर पैनी नजर रखेगा। आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिये चीन खुद अपने हिसाब से रणनीति तैयार करेगा। यहां तक कि कार्रवाई करने के लिये वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सहायता ले सकता है। चीनी कंपनियों के लिये खतरा पैदा करने वाले संगठनों और आतंकियों के खिलाफ चीन कार्रवाई करेगा।
# सीपीईसी परियोजना के तहत आने वाले सभी क्षेत्रों में फाइबर-ऑप्टिक केबल बिछआई जाएगी। इसके जरिए इंटरनेट की सुविधा और टीवी पर कार्यक्रम प्रसारित किये जाएंगे। टीवी प्रसारण के जरिये चीन अपनी संस्कृति को बढ़ावा देगा।
# इस योजना में कहा गया है कि टेक्सटाइल्स और गारमेंट्स, कृषि तकनीक, सीमेंट और भवन निर्माण की सामग्रियों आदि के क्षेत्र में बेहतर माहौल तैयार किया जाएगा।
# चीन डेवेलपमेंट बैंक की नजर पाकिस्तान के वित्तीय क्षेत्र पर है, जिसमें बीमा और लोन खास तौर पर शामिल है।
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इसके अलावा चीन पाकिस्तान की तमाम स्रोतों पर अपनी पकड़ बनाएगा। जिसके तहत वो वहां के खनिज, खानों, पत्थर खासकर संगमरमर की खानों पर अपना कब्जा करेगा।
इतना ही नहीं विदेशी निवेश के नाम पर चीनी सरकार की आर्थिक नीतियों को बदलने के भी दबाव बनाएगा। जिसके तहत चीनी कंपनियों को टैक्स में छूट से लेकर जमीन खरीदने टेंडर आदि में भी छूट दिलाने के लिये लगातार दवाब बनाए रखेगा।
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