नेपाल में दो प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टियों ने किया विलय का ऐतिहासिक फैसला
नेपाल में एक बड़े राजनैतिक घटनाक्रम के तहत दो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट दलों, सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने विलय कर एक नई पार्टी बनाने का फैसला किया है।
काठमांडू:
नेपाल में एक बड़े राजनैतिक घटनाक्रम के तहत दो सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट दलों, सीपीएन-यूएमएल और सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने विलय कर एक नई पार्टी बनाने का फैसला किया है।
नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) और नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी सेंटर) के नेताओं ने सोमवार रात सात बिंदुओं पर सहमति जताई। इन बिंदुओं में नई पार्टी का नाम भी शामिल है।
दोनों दलों द्वारा हस्ताक्षरित सात सूत्री समझौते के मुताबिक एकीकृत साम्यवादी दल का नाम नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) होगा।
यूएमएल और माओवादी सेंटर ने विचार-विमर्श के द्वारा सैद्धांतिक मुद्दों को निपटा कर आम एकता सम्मेलन बुलाने का फैसला किया है। हालांकि, समझौते में दोनों दलों के एक होने की तारीख का जिक्र नहीं किया गया है।
दोनों दलों के नेताओं ने राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय द्वारा आर्थिक व सामाजिक बदलाव कर समाजवाद के लिए जमीन तैयार करने पर सहमति जताई है।
प्रधानमंत्री एवं सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली और माओवादी सेंटर के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' अगली आमसभा तक बारी-बारी से नई पार्टी की अध्यक्षता संभालेंगे।
इसी तरह, तीन साल बाद ओली प्रधानमंत्री पद प्रचंड को सौंप देंगे। प्रचंड ने मंगलवार को कहा कि नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का सैद्धांतिक रूप से गठन हो गया है और चुनाव आयोग में पंजीकृत होने के बाद यह कानूनी रूप से सामने आ जाएगी।
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उन्होंने कहा, 'हमने आमसभा तक दो अध्यक्षों की व्यवस्था को बनाए रखने का फैसला किया है।' समझौते के मुताबिक, नई पार्टी के सांगठनिक ढांचे, अंतरिम विधान व अंतरिम राजनैतिक रपट को तैयार करने के लिए विभिन्न कार्यबल बनाए गए हैं।
प्रचंड ने कहा कि दोनों दलों की पुरानी समितियों को कार्यबलों के सुझावों और विधान के आधार पर एक हफ्ते में भंग कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पार्टी की आमसभा दो साल के अंदर होगी और तबतक ओली प्रधानमंत्री रहेंगे।
समझौते में कहा गया है कि नई पार्टी का निर्देशक सिद्धांत मार्क्सवाद-लेनिनवाद होगा। इसमें यह भी कहा गया है कि यूएमल के 'जनता का बहुदलीय लोकतंत्र', माओवादी सेंटर के 'माओवाद' और '21वीं सदी के लोकतंत्र' के सिद्धांतों को जरूरत के हिसाब से संशोधित किया जाएगा।
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