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मालदीव में बदतर हुए हालात, आपातकाल लगाए जाने के बाद चीफ जस्टिस हिरासत में

मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार रात नशीद समेत कारावास में बंद राजनेताओं को तुरंत मुक्त करने का आदेश दिया था जिसको वहां के राष्ट्रपति ने मानने से इनकार कर दिया और देश में आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी।

Updated on: 06 Feb 2018, 01:55 PM

नई दिल्ली:

मालदीव में राजनीतिक संकट बढ़ता ही जा रहा है। मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार रात नशीद समेत कारावास में बंद राजनेताओं को तुरंत मुक्त करने का आदेश दिया था जिसको वहां के राष्ट्रपति ने मानने से इनकार कर दिया और देश में आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी।

कोर्ट ने नशीद समेत 12 सांसदों को तुरंत रिहा करते हुए उनकी सदस्यता बहाल किए जाने का आदेश दिया था।

सरकारी टेलीविजन पर आपातकाल की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति यामीन ने कहा, इस कठिन घड़ी में कुछ अधिकार सीमित रहेंगे। सामान्य आवाजाही और सेवाएं बहाल रहेंगी।

राष्ट्रपति के आपातकाल लगाए जाने के तुरंत बाद ही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को गिरफ्तार कर लिया गया। गौरतलब है कि राष्ट्रपति के आपातकाल लगाए जाने से पहले ही मालदीव की सेना संसद भवन को घेर चुकी थी।

संसद की सदस्य इवा अब्दुल्ला ने कहा, 'सभी बुनियादी अधिकारों को निलंबित किया जा चुका है। सुरक्षा बलों को लोगों को गिरफ्तार करने और उनकी तलाशी लेने के अधिकार दे दिए गए हैं।'

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इस बीच मालदीव बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और पूर्व अटॉर्नी जनरल हुंसू अल सउद ने ट्वीट कर बताया है कि पुलिस और सेना सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश कर चुके हैं और उन्होंने कोर्ट के दरवाजे को तोड़ना शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा, 'मालदीव के चीफ जस्टिस ने मुझे बताया है कि सुरक्षा बलों ने सुप्रीम कोर्ट की बूरी बिल्डिंग को बंद कर दिया है।'

गौरतलब है कि देश में सबसे पहले लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए नेता मोहम्मद नशीद ने 2008 में मालदीव की सत्ता संभाली थी। हालांकि फरवरी 2012 में तख्तापलट करते हुए उन्हें सत्ता से बेदखल कर दिया था। इसके बाद 2015 में आतंकवाद के आरोपों में उन्हें 13 साल कारावास की सजा सुनाई गई थी।

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