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2 लाख से ज्यादा रोहिंग्या पहुंचे बांग्लादेश, भारत ने म्यांमार कहा- हालात को संभालने के लिए धैर्य की जरूरत

बांग्लादेश में स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने शनिवार को कहा कि राखिने प्रांत में फैली हिंसा के बाद यहां अबतक लगभग 290,000 रोहिंग्या मुस्लिम आ चुके हैं।

Updated on: 09 Sep 2017, 09:39 PM

highlights

  • म्यांमार में हिंसा के बाद खराब हुए हालात, कई रोहिंग्या कर रहे हैं पलायन
  • पीएम मोदी ने म्यांमार दौरे के दौरान हिंसा पर जताई थी चिंता

नई दिल्ली:

म्यांमार के राखिने प्रांत में पिछले महीने फैली हिंसा के लगातार बदलते हालात को देखते हुए भारत ने कहा है कि मौजूदा परिस्थिति को ज्यादा धैर्य, परिपक्वता से संभालने की कोशिश होनी चाहिए।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने साथ ही बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी की म्यांमार यात्रा के दौरान दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि भारत म्यांमार के राखिने राज्य विकास कार्यक्रम के तहत सहायता प्रदान करेगा।

इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने हिंसा में मारे गए लोगों और सुरक्षा बलों के प्रति संवेदना जताई थी।

इस बीच बांग्लादेश में स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने शनिवार को कहा कि राखिने प्रांत में फैली हिंसा के बाद यहां अबतक लगभग 290,000 रोहिंग्या मुस्लिम आ चुके हैं।

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समाचार एजेंसी एफे के अनुसार अंतरक्षेत्रीय समन्वय समूह ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि यहां आए नए प्रवासियों में से कोई 1,43,000 प्रवासी अस्थायी बस्तियों और मौजूद शिविरों में रह रहे हैं, जबकि लगभग 90,000 प्रवासियों को स्थानीय समुदायों ने शरण दे रखी है।

इनके अलावा 56,000 रोहिंग्या मुस्लिमों को अस्थायी बस्तियों में रखा गया है। वहीं बड़ी संख्या में ये लोग बांग्लादेश के दक्षिण पश्चिम सीमा से सटे उखिया में सड़क किनारे भी रह रहे हैं। रोहिंग्या मुस्लिम इसी रास्ते से बांग्लादेश आ रहे हैं।

समूह ने खाद्य पदार्थो की तात्कालिक जरूरत पर जोर देते हुए कहा, 'हमने 300,000 नए शरणार्थियों को आवश्यक जीवन रक्षक सहायता पहुंचाने के लिए 77,100,000 अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता के लिए एक प्रारंभिक प्रतिक्रिया योजना तैयार कर ली है।'

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस हिंसा में अबतक 400 लोग मारे गए हैं। यहां हिंसा के बाद स्थानीय लोगों पर भीषण गोलीबारी, पूरे गांव को जलाने और मानवाधिकार उल्लंघन के अन्य मामले सामने आए हैं।

पिछले वर्ष भी म्यांमार के इस प्रांत में सैन्य कार्रवाई के बाद 80,000 रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंचे थे।

इस साल पैदा हुई हिंसा से पहले बांग्लादेश में 300,000 से 500,000 के बीच रोहिंग्या समुदाय के लोग रहते थे, जिनमें से केवल 32,000 को शरणार्थी का दर्जा प्राप्त है।

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