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ट्रंप प्रशासन के 'एच-1 बी वीजा' के विरोध में भारत ने शुरू की लॉबिंग

अमेरिका में एच-1 बी वीजा में कटौती के खिलाफ भारत ने लॉबिंग शुरू कर दी है। अमेरिकी संसद में पिछले दिनों एच-1बी वीजा कम करने के लिए बिल पेश किया गया है।

Updated on: 25 Feb 2017, 07:10 AM

नई दिल्ली:

अमेरिका में एच-1 बी वीजा में कटौती के खिलाफ भारत ने लॉबिंग शुरू कर दी है। अमेरिकी संसद में पिछले दिनों एच-1बी वीजा कम करने के लिए बिल पेश किया गया है। इसके तहत यह वीजा उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिनका न्यूनतम वेतन 1.30 लाख अमेरिकी डॉलर होगा। जिससे भारतीय आईडी इंडस्ट्री को बड़ा खतरा है।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत करते हुए वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 'नई दिल्ली ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन से बातचीत की है और इसपर जोर दिया गया है कि भारत की 150 अरब डॉलर की आईडी इंडस्ट्री पर प्रभाव पड़ेगा।'

उन्होंने कहा, 'अमेरिका में भारत के निवेश से अमेरिकी लोगों को रोजगार मिलता है।' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन को इसपर गौर करना चाहिए।

पिछले दिनों पीएम मोदी ने ट्रंप प्रशासन से अपील की थी कि वह कुशल पेशेवरों की आवाजाही के मामले में संतुलित और दूरदर्शी नजरिया अपनाए। आपको बता दें की टाटा कंसल्टेंसी सर्विस, विप्रो, इंफोसिस लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनियां 90 के दशक से अमेरिका में काम कर रही है।

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डोनल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद 'अमेरिका फर्स्ट' का नारा दिया था जिसके बाद से बाहरियों कंपनियों में डर का माहौल है।

दरअसल भारतीय प्रोफेशनल्‍स को बड़े पैमाने पर एच-1 बी वीजा दिए जाते हैं। इन वीजा की वजह से उन्‍हें अमेरिका में छह वर्षों तक रहने की मंजूरी मिलती है। जिसे कम करने के लिए अमेरिकी संसद में बिल पेश किया गया है। जिससे भारतीय बिजनेसमैन, खासतौर पर टेक्‍नोलॉजी से जुड़े, उन पर एच-1 बी वीजा की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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नैसकॉम ट्रंप सरकार के प्रस्तावित बिल का विरोध कर रही है। नैसकॉम का एक प्रतिनिधिमंडल इस समय अमेरिका में मौजूद है। सीतारमण ने कहा, 'हमने नये ट्रंप प्रशासन से बात करने के लिए लोगों को भेजे हैं।'

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