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विदेशी सेटेलाइट लांच कर इसरो ने बनाया विश्व रिकॉर्ड, ग्लोबल मीडिया ने बांधे तारीफ़ो के पुल

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स, बीबीसी, अलजज़ीरा, द गार्डियन, द टाइम्स, सीएनएन और वॉशिंगटन पोस्‍ट सभी ने भारत की तारीफ़ की है।

Updated on: 16 Feb 2017, 05:06 PM

highlights

  • इसरो ने बुधवार सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर एक इतिहास रचा।
  • इसरो ने 104 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।
  • एक मिशन में एक साथ 104 उपग्रह भेजने वाला भारत पहला देश बन गया है।
  • इसके पहले सबसे ज्यादा 37 उपग्रह भेजने का रिकॉर्ड रुस के नाम था।

नई दिल्ली:

इसरो यानी कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 15 फरवरी को ऐसा कीर्तिमान हासिल किया, जिसकी मुरीद पुरी दुनिया हो गई। जी हां ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि दुनिया भर में छपने वाली अख़बारें और न्यूज़ चैनल कह रहा है।

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स, बीबीसी, अलजज़ीरा, द गार्डियन, द टाइम्स, सीएनएन और वॉशिंगटन पोस्‍ट सभी ने पहली बार एक साथ भारत की तारीफ़ की है। आपको बता दें कि ये वही न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स है जिसने मंगलयान के समय भारत का मजाक उड़ाया था।

इसरो ने बुधवार सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर एक इतिहास रचा। इसरो ने सतीश धवन स्पेश सेंटर श्रीहरिकोटा, आंध्रप्रदेश से 104 उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

एक मिशन में एक साथ 104 उपग्रह भेजने वाला भारत पहला देश बन गया है। इसके पहले सबसे ज्यादा 37 उपग्रह भेजने का रिकॉर्ड रुस के नाम था। इसरो कि इस सफलता के बाद चारों तरफ बधाईयों का तांता लग गया।

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राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और पीएम मोदी ने इसरो की इस शानदार सफलता पर बधाई दी।

न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने भारत की तारीफ़ करते हुए लिखा है, 'एक ही दिन में 104 सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग, पिछले रिकॉर्ड से तीन गुना ज्‍याादा है। भारत अब अंतरिक्ष आधारित सर्विलांस और कम्‍यूनिकेशन की दुनिया में ख़ुद को एक बड़े खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रहा है।'

आगे न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने कहा है कि इसमें रिस्‍क काफी था क्‍योंकि 17,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से जा रहे एक रॉकेट को कुछ ही सेकेंड्स में गोली की स्‍पीड में सैटेलाइट्स को कक्षाओं में स्‍थापित करता था। अगर एक भी सैटेलाइट गलत कक्षा में जाता तो वे आपस में टकरा जाते।

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सीएएन ने लिखा है, अब स्पेस में यूएस और रसिया को भूल जाइये, असली स्पेस मिशन अब खिसक कर एशिया में चला गया है।

बीबीसी ने लिखा है कि एक सफल लॉन्‍च भारत के महत्‍वकांक्षी अंतरिक्ष प्रोग्राम में एक और मील के पत्‍थर की तरह है। अंतराष्‍ट्रीय खिलाड़‍ियों की मौजूदगी के बीच में ही भारत ने खुद को एक अहम खिलाड़ी साबित कर दिया है।

वॉशिंगटन पोस्‍ट के मुताबिक लॉन्चिंग इसरो के लिए बड़ी कामयाबी है। कम खर्च में कामयाब मिशन को लेकर इसरो की साख इंटरनेशनल लेवल पर तेजी से बढ़ रही है।

अल-जजीरा ने कहा है कि भारत अब दूसरे अंतराष्‍ट्रीय खिलाड़‍ियों के साथ प्रतिद्वंदिता कर रहा है और भारत का लॉन्‍च मार्केट अब कम कीमत के लिए मशहूर हो रहा है।

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ब्रिटिश न्‍यूजपेपर द गार्डियन ने लिखा कि नया रिकॉर्ड ब्रेक करने वाली यह लॉन्चिंग प्राइवेट स्पेस मार्केट बाजार में भारत को एक गंभीर खिलाड़ी के रूप में मजबूती देगी। भारत वर्ष 1980 में खुद का रॉकेट लॉन्च करके ऐसा करने वाला छठा देश बना था। उसके बाद से ही भारत ने स्पेस रिसर्च को काफी पहले ही अपनी प्राथमिकता बना लिया था। भारत सरकार ने इस साल अपने स्पेस प्रोग्राम के लिए बजट बढ़ा दिया है।

लंदन के द टाइम्स ने लिखा है कि भारत इस कामयाबी से अंतरिक्ष के क्षेत्र में नाम करने वाले एलीट देशों में शामिल हो गया है। भारत के कई अहम मिशन का खर्च रशियन, यूरोपियन और अमेरिकी मिशन से काफी कम है। इसरो के मंगल मिशन का खर्च सिर्फ 7.3 करोड़ डॉलर था, जबकि नासा के मावेन मार्स लॉन्च में 67.1 करोड़ डॉलर का खर्च आया था।

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