logo-image

खतरे में पेरिस जलवायु संधि, US के बाद अब तुर्की ने खड़े किए हाथ

पेरिस जलवायु संधि पर अब खतरा मंडराने लगा है। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के इस संधि को रद्द किए जाने के बाद अब तुर्की ने भी ऐसी ही धमकी दी है। जर्मनी के जी-20 सम्मेलन में तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोगन ने कहा कि उनकी सरकार पेरिस जलवायु समझौते को लागू नहीं करेगी।

Updated on: 09 Jul 2017, 08:08 AM

highlights

  • पेरिस जलवायु संधि पर अब खतरा मंडराने लगा है
  • तुर्की ने इस समझौते को रद्द करने की धमकी दी है
  • अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप इस संधि को पहले ही रद्द कर चुके हैं

नई दिल्ली:

पेरिस जलवायु संधि पर अब खतरा मंडराने लगा है। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के इस संधि को रद्द किए जाने के बाद अब तुर्की ने भी ऐसी ही धमकी दी है। जर्मनी के जी-20 सम्मेलन में तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोगन ने कहा कि उनकी सरकार पेरिस जलवायु समझौते को लागू नहीं करेगी।

हैम्बर्ग में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अर्दोगन ने कहा, 'अमेरिका के फैसला लिए जाने के बाद हम भी अपनी संसद में इस संधि को मान्यता नहीं देने जा रहे।'

जी-20 के 19 सदस्यों ने 2015 में हुई इस संधि को लागू किए जाने की प्रतिबद्धता को दोहराया। सम्मेलन के दौरान अमेरिका वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ता नजर आया। राष्ट्रपति के चुनाव के दौरान ही ट्रंप ने इस संधि को अमेरिका के लिए नुकसानदेह बताते हुए इसे तोड़ने की धमकी दी थी। 

सम्मेलन खत्म होने के तुरंत बाद अर्दोगन ने कहा कि तुर्की इस संधि को लागू करने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ अन्य सदस्य देश भी इस बारे में सोच रहे हैं।

जी-20 सम्मेलन के दौरान अर्दोगन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच द्विपक्षीय बातचीत भी हुई।

पेरिस समझौते से अलग हुआ अमेरिका, जाने क्यों ख़ास है ये समझौता?

अर्दोगन ने कहा कि उन्होंने इस बारे में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों और जर्मनी के चांसलर एंजेला मर्केल को साफ-साफ बता दिया। उन्होंने कहा, 'इसमें बुरा मानने जैसा कुछ नहीं है लेकिन हम इस संधि को लागू नहीं करने जा रहे हैं क्योंकि हमसे जो वादा किया गया था, उसे पूरा नहीं किया गया है।'

अर्दोगन ने कहा कि पूर्व फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रैंकोइस ओलांद ने कहा था कि तुर्की को विकासशील अर्थव्यवस्था का दर्जा दिया जाएगा न कि औद्योगिक अर्थव्यस्था। इसका मतलब साफ था कि हमें इस संधि को लागू करने के बदले में फंड मिलता न कि इसके लिए हमें भुगतान करना पड़ता।

उन्होंने कहा कि कुछ अन्य देश भी इस संधि को लागू करने के पक्ष में नहीं है। हालांकि उन्होंने उन देशों का नाम नहीं लिया।

क्लाइमेट चेंज के खिलाफ मुहिम को लेकर भारत का मुरीद हुआ विश्व बैंक