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क्या पाकिस्तान बन रहा है चीन का गुलाम, चीनी भाषा मंदारिन को बनाया अधिकारिक

पाकिस्तानी सीनेट ने सोमवार को चाइनीज भाषा 'मंदारिन' को अपने अधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया।

Updated on: 20 Feb 2018, 12:34 PM

इस्लामाबाद:

पाकिस्तान पर चीन का दबदबा लगातार बनता जा रहा है। इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तानी सीनेट ने सोमवार को चाइनीज भाषा 'मंदारिन' को अपनी अधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया।

प्रस्ताव में कहा गया है कि पाकिस्तान और चीन के संबंधों के दृष्टिकोण के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में काफी सुधार होगा और आर्थिक कॉरिडोर को देखते हुए परस्पर संवाद के लिए यह जरूरी था।

गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान के बीच 60 अरब डॉलर की लागत से बनने वाली सीपीईसी परियोजना के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है।

प्रस्ताव में कहा गया है, अगर मंदारिन को दक्षिण एशियाई देश का अधिकारिक भाषा बनाया जाता है तो इस्लामाबाद और बीजिंग के बीच संबंध और गहरे होंगे और चीन पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर (सीपीईसी) से जुड़े लोगों को संवाद करने में आसानी होगी।

अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने ट्वीट किया, '70 साल के छोटे समय में पाकिस्तान ने अंग्रेजी, उर्दू, अरबी और अब चाइनीज जैसे चार भाषाओं को बढ़ावा देकर स्थानीय भाषाओं से छेड़छाड़ किया है जो कि देश में कई लोगों की मातृभाषा नहीं थी।'

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पंजाबी व्यापक स्तर पर बोली जाती है, पाश्तो और कई अन्य स्थानीय भाषाएं देश की अधिकारिक भाषा नहीं घोषित की गई। अभी पाकिस्तान की अधिकारिक भाषा उर्दू और अंग्रेजी है।

डॉन न्यूज के मुताबिक, पाकिस्तानी हमेशा की तुलना में अब चाइनीज भाषा सीखने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं। वे जानते हैं कि मंदारिन सीखने का मतलब चीन और पाकिस्तान के अंदर ज्यादा रोजगार की संभावनाएं हैं।

हाल में भारत से संबंध बिगड़ने के बाद पाकिस्तान और चीन के संबंधों में मजबूती आई है। चीन सीपीईसी में 60 बिलियन डॉलर का निवेश किया है जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से गुजरता है।

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