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आंतकियों के साथ पाकिस्तान के 'लिंक' को काटने के लिए अमेरिका बनाएगा नया प्लान

पाकिस्तान के साथ 'डील' करने के लिए अमेरिका का ट्रंप प्रशासन कुछ नए तरीके पर विचार कर रहा है। ट्रंप प्रशासन की कोशिश है कि पाकिस्तान को आंतकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगार बनने से रोकने के लिए कुछ और कदम उठाने होंगे।

Updated on: 08 Jan 2018, 07:15 PM

वॉशिंग्टन:

पाकिस्तान के साथ 'डील' करने के लिए अमेरिका का ट्रंप प्रशासन कुछ नए तरीके पर विचार कर रहा है। ट्रंप प्रशासन की कोशिश है कि पाकिस्तान को आंतकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगार बनने से रोकने के लिए कुछ और कदम उठाने होंगे।

अभी तक के उठाए कदम नाकाफी ही रहे हैं। यह बात एक उच्च अमेरिकी अधिकारी ने बताई है। 

अमेरिकी अधिकारी का यह बयान उस वक्त आया है जब हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब 2 अरब अमेरिकी डॉलर की सुरक्षा सहायता मदद पर रोक लगा दी है। इस कदम के बाद अमेरिका को पाकिस्तान से विरोध का सामना करना पड़ा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने नए साल की पहली सुबह 1 जनवरी को यह ऐलान करते हुए ट्वीट किया था कि पाकिस्तान ने अमेरिका को बीते 15 सालों से करीब 33 अरब अमेरिकी डॉलर की सैन्य मदद के बदले में सिर्फ झूठ और धोखा ही दिया है और आंतकियों के लिए पाकिस्तान को सुरक्षित पनाहगार बनाया हुआ है।

अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि 9/11 के बाद पाकिस्तान के लिए अपनाई गई अमेरिकी नीतियां कारगर नहीं रही है। 

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नाम ज़ाहिर न करने पर अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि अमेरिका पाकिस्तान या अफगानिस्तान को आंतक की पनाहगार न बनने देने के लिए प्रतिबद्ध है। जिससे वो अमेरिका या इसके मित्र देशों पर निशाना न बना सकें।

अधिकारी ने कहा, 'यह सदियां वास्तव में क्षेत्र की स्थिरता के लिए चुनौती पूर्ण रहीं है और आंतकवाद की समस्या जिससे हम जूझ रहे हैं को बढ़ावा देती रही है।'

इससे पहले अधिकारी ने कहा कि इससे पहले के प्रशासन ने जिसे कह सकते हैं कि धैर्यपूर्ण तरीके से पाकिस्तान के साथ व्यवहार किया गया या कैरी-ल्युगर-बर्मन ने अरबों डॉलर की मदद दी, यह तरीके कामगार साबित नहीं हुए।

2009 में कैरी-ल्युगर-बर्मन एक्ट (केएलबी) जिसे पाकिस्तान एक्ट 2009 भी कहा जाता है जिसमें पाकिस्तान के साथ साझेदारी बढ़ाने के लिए पारित किया गया था और कांग्रेस अधिकारियों ने पाकिस्तान को 5 साल तक के लिए (2010-14) 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर बतौर आर्थिक सहायता देने की बात कही थी। 

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अधिकारी ने बताया कि इस बीच आतंकी पाकिस्तान से बेखौफ दूसरे संगठनों और इधर-उधर आवाजाही करते रहे हैं।

अधिकारी के मुताबिक ट्रंप प्रशासन की नई नीति पाकिस्तान को अफगानिस्तान के लैंस से देखने की रही है लेकिन यह क्षेत्र अमेरिका के लिए भविष्य की ओर देखने के लिए है।

अमेरिका और अन्य देशों की शिकायत रही है कि पाकिस्तान अफगान, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क समेत उनके संगठनों के लिए सुरक्षित जगह बना हुआ है जो कि उन्हें अफगानिस्तान से सीमा पार हमले करने में मदद करता है।

हालांकि पाकिस्तान इन आरोपों का खंडन करता रहा है लेकिन ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा है।

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