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दक्षिण एशिया की बदली राजनीति, पाकिस्तान और रूस करेगा संयुक्त सैन्य अभ्यास

मास्को में पाकिस्तान के राजदूत काजी खलीलुल्ला ने मीडिया को बताया कि ये पहली बार है, जब इन दोनों देशों के सैन्यकर्मी संयुक्त सैन्य अभ्यासों ‘फ्रेंडशिप-2016’ में हिस्सा लेंगे। खलीलुल्ला ने कहा "इससे साफ पता चलता है कि दोनों पक्ष रक्षा और सैन्य-तकनीकी सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।"

Updated on: 14 Sep 2016, 01:19 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक पाकिस्तान और रूस के 200 सैनिक इस साल के अंत में होने वाले युद्धाभ्यास में हिस्सा लेंगे। ये दोनो देशों के बीच सबसे पहला संयुक्त सैन्य अभ्यास होगा। शीतयुद्ध के दौरान सोवियत संघ और पाकिस्तान एक दूसरे के दुश्मन थे, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। यह कदम मास्को और इस्लामाबाद के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों के बीच उठाया जा रहा है। इस्लामाबाद आधुनिक रूसी युद्धक विमानों को खरीदने पर भी विचार कर रहा है।

मास्को में पाकिस्तान के राजदूत काजी खलीलुल्ला ने मीडिया को बताया कि ये पहली बार है, जब इन दोनों देशों के सैन्यकर्मी संयुक्त सैन्य अभ्यासों ‘फ्रेंडशिप-2016’ में हिस्सा लेंगे। खलीलुल्ला ने कहा "इससे साफ पता चलता है कि दोनों पक्ष रक्षा और सैन्य-तकनीकी सहयोग बढ़ाना चाहते हैं।"

मई 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। अमेरिकी अधिकारियों को पूरा शक है कि पाकिस्तानी सेना ने ही लादेन को छुपाया था। लादेन की मौत के बाद से पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में खटास जारी है।

हाल ही में अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक लड़ाकू विमान एफ-16 बेचने से मना कर दिया। गौरतलब है कि पाकिस्तान अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन से आठ एफ-16 विमान खरीदना चाहता था, लेकिन अमेरिका के इनकार के बाद इस्लामाबाद ये विमान जॉर्डन से खरीदने की कोशिश कर रहा है।

वॉशिंगटन के कड़े रुख के चलते अब पाकिस्तान अमेरिका विरोधी धड़े रूस की तरफ बढ़ रहा है। दक्षिण एशिया की राजनीति में यह बड़ा बदलाव है। बीते डेढ़ दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं। लंबे अरसे तक सिर्फ रूस से हथियार खरीदने वाला भारत अब अमेरिका, इस्राएल और दूसरे पश्चिमी देशों से भी बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है।

भारत की विदेश नीति में आते बदलाव का असर पाकिस्तान और रूस की विदेश नीति पर भी दिख रहा है। अगस्त 2015 में रूस और पाकिस्तान ने मॉस्को में एक संधि पर हस्ताक्षर किये, जिसके तहत दोनों देश आपसी सहयोग बढ़ाएंगे। बीते डेढ़ साल में पाकिस्तान की थल, नौ और वायुसेना के प्रमुखों ने रूस का दौरा किया है। दोनों देशों के बीच हो रही उच्च स्तरीय वार्ता में लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-35 का सौदा भी हो सकता है। पाकिस्तान रूस से सुखोई एसयू-35 फाइटर जेट भी खरीदना चाहता है।

रूस और पाकिस्तान के रक्षा संबंधों का असर मॉस्को और नई दिल्ली के रिश्तों पर भी दिखाई पड़ेगा। शीत युद्ध के समय अमेरिका और भारत एक दूसरे के विरोधी थे, लेकिन आज वे दोस्त बन गए हैं, वहीं पाकिस्तान और रूस की शत्रुता भी अब मित्रता में बदल रही है।