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केंद्र ने न्यायपालिका को 'लक्ष्मण रेखा' की याद दिलाई

जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती दिख रही है।

Updated on: 26 Nov 2016, 06:47 PM

highlights

  •  जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती दिख रही है
  • सरकार ने कहा कि न्यायपालिक समेत सभी लोगों के लिए लक्ष्मण रेखा है

New Delhi:

जजों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने देश के उच्च न्यायालयों में जजों के 500 पद खाली होने और नए जजों की नियुक्ति के लिए सरकार के दखल को लेकर बयान दिया था, जिसे कनून मंत्री रविशंकर प्रसाद से सिरे से खारिज कर दिया था।

प्रसाद के बयान के बाद अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, 'न्यायपालिक समेत सभी लोगों के लिए लक्ष्मण रेखा है और उन्हें आत्मावलोकन के लिए तैयार रहना चाहिए।'

रोहतगी का बयान जजों की नियुक्ति को लेकर चीफ जस्टिस ठाकुर के बयान के बाद आया है। जजों की नियुक्ति को लेकर पिछले कुछ महीनों के दौरान सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव जैसी स्थिति बनती दिख रही है।

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ऑल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल को संबोधित करते हुए जस्टिस ठाकुर ने कहा, 'हाई कोर्ट्स में जजों के 500 पद रिक्त पड़े हैं। उन्हें आज काम करना चाहिए, लेकिन वे नहीं हैं। फिलहाल देश के तमाम कोर्ट रूम खाली पड़े हैं, लेकिन जज उपलब्ध नहीं हैं। बड़ी संख्या प्रस्ताव लंबित हैं। मुझे उम्मीद है कि सरकार इस संकट को समाप्त करने के लिए प्रयास करेगी।'

सीजेआई की इस राय से असहमति जताते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार ने इस साल 120 नियुक्तियां की हैं, जो 1990 के बाद से दूसरी सबसे अधिक संख्या है। 2013 में 121 जजों की नियुक्ति की गई थी।

रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'मैं सम्मानपूर्वक मुख्य न्यायाधीश की राय से असहमति जताता हूं। इस साल हमने 120 अपॉइंटमेंट्स किए हैं। 1990 के बाद से यह औसत 80 का था। जजों की 5000 रिक्तियां निचली अदालतों में हैं, जिनमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। इनमें नियुक्ति का काम न्यायपालिका को ही करना है।'

मुख्य न्यायाधीश ठाकुर ने कहा कि जजों की कमी होने के चलते ट्रिब्यूनल्स का काम भी प्रभावित हो रहा है और मामले 5 से 7 साल तक के लिए लंबित हो रहे हैं।

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