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कांग्रेस को अब खटकने लगे प्रशांत किशोर

उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार को लेकर प्रशांत किशोर कांग्रेस के नेताओं के निशाने पर आ गए है।

Updated on: 04 Nov 2016, 04:11 PM

New Delhi:

उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार को लेकर प्रशांत किशोर कांग्रेस के नेताओं के निशाने पर आ गए है। हाल ही में किशोर ने समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह से मुलाकात की थी। इससे पहले पंजाब में भी किशोर ने अमरिंदर सिंह के विरोधी गुट से मुलाकात की थी, जिसके बाद वह पंजाब कांग्रेस के निशाने पर आ गए थे। 

प्रशांत किशोर की काम-काज की शैली को लेकर कांग्रेस का एक धड़ा नाराज चल रहा है। अब मुलायम सिंह से मुलाकात के बाद उत्तर प्रदेश कांग्रेस में उनके खिलाफ विरोध का स्वर तेज होने लगा है।

खबरों के मुताबिक कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी के चहेते होने के बावजूद जल्द ही कांग्रेस से प्रशांत किशोर की विदाई हो सकती है। कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को उत्तर प्रदेश में संगठन मजबूत किए जाने की जिम्मेदारी सौंपी है। किशोर की सलाह पर ही कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है।

खबरों के मुताबिक पंजाब कांग्रेस चीफ कैप्टन अमरिंदर सिंह प्रशांत किशोर से नाराज चल रहे हैं। सिंह ने अपनी करीबी नेताओं से किशोर को लेकर बातचीत भी की है।

हालांकि उत्तर प्रदेश में किशोर चुनाव प्रचार के तरीकों को लेकर कांग्रेस के निशाने पर हैं। किशोर प्रियंका गांधी को चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका देने के पक्ष में है लेकिन पार्टी नेतृत्व इसे लेकर एकमत नहीं है। वहीं पंजाब में भी किशोर और कैप्टन के तरीकों में तालमेल नहीं है। खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में मतभेद की वजह का असर राहुल गांधी के संदेश यात्रा पर पड़ रहा है।

किशोर की दिल्ली में सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह और अमर सिंह के साथ हुई मुलाकात को लेकर पार्टी सहज नहीं है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि किशोर के पास इस मुलाकात का अधिकार नहीं था। उन्हें लगता है कि किशोर की मुलाकात के बाद यह संदेश गया है कि कांग्रेस गठबंधन के लिए बेताब है।

वहीं यह बात भी निकल कर सामने आ रही है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की कमजोर आशंका को देखते हुए किशोर पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं।

कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि सर्जिकल स्ट्राइक और समाजवादी पार्टी के बीच चल रही लड़ाई से पार्टी को फायदा हो सकता है। कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि उत्तर प्रदेश में चार दलों के मैदान में होने से उन्हें फायदा होगा, जबकि गठबंधन की हालत में उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है। चौतरफा संघर्ष के बिना कांग्रेस को फायदा होने की उम्मीद कम ही है। लेकिन किशोर ने मुलायम और अमर सिंह से मुलाकात कर इन संभावनाओं को खत्म कर दिया है।