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सायमीज़ ट्विंस को तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद अस्पताल से स्टेट होम भेजा

शल्य चिकित्सा में बढ़ते जोखिम की वजह से तेलंगाना सरकार ने उन्हें अस्पताल से स्थानांतरित कर दिया है।

Updated on: 01 Jan 2017, 10:15 PM

highlights

  • शल्य चिकित्सा में बढ़ते जोखिम के चलते तेलंगाना सरकार ने इन्हें अस्पताल से स्थानांतरित किया
  • स्टेट होम के निवासियों और कर्मचारियों ने संयुक्त जुड़वां बहनों का नए साल पर स्वागत किया
  • इनका परीक्षण सिंगापुर और लंदन के विशेषज्ञों ने भी किया था

नई दिल्ली:

शारीरिक रूप से जुड़ी 14 वर्षीय जुड़वां बहनों वीणा और वाणी को एक सफल भविष्य के लिए रविवार को नीलोफर अस्पताल से स्टेट होम में स्थानांतरित कर दिया गया।

नए साल के दिन वीणा और वाणी को बच्चों के अस्पताल से राज्य संचालित आश्रय गृह में भेजा गया। माता-पिता द्वारा गरीबी की वजह से इन्हें छोड़े जाने के बाद साल 2006 से यह अस्पताल में रह रही थीं।

उन्हें अलग करने के लिए शल्य चिकित्सा में बढ़ते जोखिम की वजह से तेलंगाना सरकार ने उन्हें अस्पताल से स्थानांतरित कर दिया है।

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स्टेट होम के निवासियों और कर्मचारियों ने संयुक्त जुड़वां बहनों का नए साल की शुभकामनाओं के साथ स्वागत किया। इस मौके पर एक लड़की नए साल की शुभकामनाओं वाली एक तख्ती के साथ उनके स्वागत में खड़ी थी। इस आश्रय गृह को राज्य सरकार के महिला विकास एवं बाल कल्याण विभाग द्वारा संचालित किया जाता है।

राज्य सरकार ने बीते साल अगस्त महीने में ही जुड़वां बहनों को स्थानांतरित करने का फैसला लिया था, लेकिन लड़कियों की इच्छा नहीं होने से ऐसा नहीं किया जा रहा था।

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जुड़वा बहनें अस्पताल में बीते 11 सालों से अधिक समय से रह रही थीं। उनका देखभाल करने वालों से एक संबंध सा बन गया था। कई मौकों पर उन्होंने अस्पताल में रहने की इच्छा जताई थी।

हालांकि, जुड़वा बहनों की देखभाल आर्थिक तंगी से जूझ रहे अस्पताल के लिए बोझ बन गई थी। अस्पताल के अधिकारियों की राय थी कि अस्पताल से बाहर लड़कियों को ले जाना उनके मनोवैज्ञानिक विकास के लिए भी जरूरी है।

इससे पहले अस्पताल के अधिकारियों ने लड़कियों के माता-पिता से उन्हें घर ले जाने को कहा था। लेकिन उसके पिता एन. मुरली और मां नागालक्ष्मी में इस हालत में उन्हें ले जाने से इनकार कर दिया था। वारंगल जिले के रहने वाले एन. मुरली एक दिहाड़ी मजदूर हैं।

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उन्हें अलग करने में जोखिम होने के कारण कोई शल्य चिकित्सा नहीं की जा सकती। बीते समय में इनका परीक्षण सिंगापुर और लंदन के विशेषज्ञों ने भी किया था।

साल 2015 में एम्स के चिकित्सकों ने भी हैदराबाद का दौरा कर जुड़वां बहनों की जांच की थी। तेलंगाना सरकार इनके शल्य चिकित्सा का खर्च उठाने के लिए तैयार है। लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि शल्य चिकित्सा से जुड़वा बहनों के जीवन को खतरा हो सकता है।