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त्यौहार नहीं मातम का दिन होता है मोहर्रम, जानें 10 खास बातें

इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के छोटे नवासे इमाम हुसैन की याद में मातम मनाया जाता है।

Updated on: 12 Oct 2016, 09:22 AM

नई दिल्ली:

मोहर्रम कोई त्यौहार नहीं, बल्कि मुस्लिमों के लिए मातम का दिन है। इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद साहब के छोटे नवासे इमाम हुसैन की याद में मातम मनाया जाता है।

ये हैं मोहर्रम से जुड़ी 10 खास बातें

1. बताया जाता है कि मोहर्रम महीने की पहली तारीख से मुस्लिम धर्म से जुड़े लोगों का नया साल 'हिजरी' शुरू होता है।

2. इसमें शिया मुस्लिम 10 दिन तक इमाम हुसैन की याद में शोक मनाते हैं।

3. इस्लामी या हिजरी एक ऐसा चंद्र कैलेंडर है, जो मुस्लिम देशों में इस्तेमाल होता है।

4. दुनियाभर में मुस्लिम धर्म से जुड़े लोग इस्लामिक धार्मिक त्यौहारों को माने का सही समय और तारीख जानने के लिए इस कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं।

5. इस महीने को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शामिल किया जाता है। इसे 'अल्लाह का महीना' भी कहा जाता है।

मोहर्रम का इतिहास

6. इस्लाम धर्म में मोहर्रम का खास महत्व है।

7. साल 680 में इसी महीने में कर्बला से एक धर्म युद्ध हुआ था।

8. इस युद्ध में हजरत साहब की जीत हुई थी, लेकिन इमाम हुसैन समेत उनके परिवार वालों की मौत हो गई थी।

9. इस महीने पूरी दुनिया में मुसलमान इनकी शहादत का गम मनाकर उन्हें याद करते हैं।

10. इस दिन को 'यौमे आशुरा' भी कहा जाता है।