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बैंकों के पास भरपूर नकदी लेकिन सस्ते नहीं होंगे लोन

नोटबंदी के बाद बैंकों में पर्याप्त नकदी आने के बाद ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद में बैठे लोगों को रिजर्व बैंक ने बड़ा झटका दिया है।

Updated on: 30 Nov 2016, 07:12 AM

highlights

  • नोटबंदी के बाद बैंकों में पर्याप्त नकदी के बावजूद लोन रेट में कटौती नहीं होगी 
  • नोटबंदी के बाद नकदी को आरबीआई में सीआरआर के तौर पर जमा करानी होगी

New Delhi:

नोटबंदी के बाद बैंकों में पर्याप्त नकदी आने के बाद ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद में बैठे लोगों को रिजर्व बैंक ने बड़ा झटका दिया है।

रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने साफ कर दिया है कि नोटबंदी के बाद बैंकों के पास आई नकदी उन्हें रिजर्व बैंक में बतौर सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) के तौर पर जमा करानी होगी। आरबीआई के मुताबिक 16 सितंबर से 11 नवंबर के बीच बैंकों में जमा हुई नकदी को सीआरआर के तौर पर जमा किया जाएगा। सीआरआर के तौर पर बैंक अपनी कुल जमा रकम का एक हिस्सा आरबीआई के पास रखते हैं, जिस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता है। 

आरबीआई के इस फैसले के बाद से बैंकों के पास आई करीब 3 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की रकम आरबीआई के पास जमा हो जाएगी। क्रिसिल की रिपोर्ट की माने तो आरबीआई के इस फैसले के बाद आने वाले दिनों में ब्याज दरों में कटौती की संभावना न के बराबर रह जाएगी।

नोटबंदी के पहले करेंसी मार्केट में 500 और 1000 रुपये की कुल 14.18 लाख करोड़ रुपये की करेंसी मौजूद थी। 28 नवंबर को जारी रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक बैंकिंग सिस्टम में अभी तक 8.44 लाख करोड़ रुपये के पुराने नोट बैंकों के पास आ चुके हैं। बैंकों के पास अचानक आई पर्याप्त नकदी के बाद डिपॉजिट दरों में हुई कटौती ने ब्याज दरों के कम होने की उम्मीद जगाई थी। लेकिन अब यह उम्मीद धूमिल पड़ती नजर आ रही है। 

साफ शब्दों में कहा जाए तो आने वाले दिनों में आम उपभोक्ताओं को ईएमआई में किसी तरह की राहत नहीं मिलने जा रही है।

आरबीआई ने बैंकों से 16 सितंबर से 11 नवंबर के बीच जमा हुई पूरी रकम को सीआरआर के तौर पर जमा कराने का आदेश दिया है। क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, 'बढ़ी हुई डिपॉजिट को सीआरआर में रखने से 16 सितंबर से लेकर 11 नवंबर के बीच बैंकों में जमा हुई करीब 3 लाख करोड़ रुपये की रकम आरबीआई के पास चली जाएगी।'

इसके बाद बैंकों के पास फिर से नकदी की समस्या होगी और उन्हें फंड जुटाने में दिक्कतें आएंगी, जिसका असर उपभोक्ताओं के हितों पर पड़ेगा। हालांकि आरबीआई ने अपने इस फैसले को तात्कालिक कदम करार दिया है। आरबीआई के इस फैसले के बाद बैंक कर्ज की दरों में कटौती किए जाने का फैसला टाल देंगे।