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मुलायम परिवार में बिछी शतरंज की बिसात, किसकी होगी शह, कौन खाएगा मात ?

सरकार और पार्टी को बचाने के लिए एसपी के मुखिया मुलायम सिंह यादव बारी-बारी से दोनों चाचा भतीजे के साथ बैठक कर रहे हैं

Updated on: 14 Sep 2016, 12:13 PM

New Delhi:

सियासी तौर पर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही राज्य में सत्ता चला रही समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे के बीच ठन गई है। पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव और भाई शिवपाल यादव के बीच जारी खींचातान ने यूपी की सियासत की जड़ों को हिला कर रख दिया है।

जहां अखिलेश यादव इसे परिवार के बीच नहीं बल्कि सरकार में झगड़ा बता रहे हैं वहीं राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक चाचा भतीजे में ये लड़ाई पावर, रुतबे और कद को लेकर है। एक दिन पहले जैसे ही अखिलेश यादव को हटाकर शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया वैसे ही अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से कई मंत्रालय वापस ले लिए।

चाचा-भतीजे के बीच की लड़ाई तब खुलकर सामने आ गई थी जब शिवपाल यादव ने कौमी एकता दल और उसके नेता मुख्तार अंसारी के एसपी में शामिल होने का सार्वजनिक एलान कर दिया था जिससे अखिलेश यादव बेहद नाराज हो गए थे और बात इतनी आगे बढ़ गई की समाजवादी पार्टी को विलय को रद्द करना पड़ा।

पार्टी में अपने कम होते कद को देखकर शिवपाल यादव इतने दुखी हुए कि उन्होंने अखिलेश यादव के साथ सार्वजनिक मंच तक पर जाना छोड़ दिया। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक समाजवादी पार्टी के लिए चुनाव में दूसरी पार्टियों से लड़ना तो दूर की बात है पहले उन्हें अपने ही परिवार और पार्टी के कुनबे को बिखरने से बचाना सबसे बड़ी चुनौती है। पार्टी और सरकार दोनों को बचाने का अब सारा दारोमदार पार्टी के संस्थापक और अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पर है।

हम आपको बताते हैं आखिर मुलायम सिंह यादव के पास क्या क्या-संभावित रास्ते हो सकते हैं परिवार और सरकार को बिखरने से बचाने के लिए


अखिलेश-शिवपाल को मना लेंगे मुलायम सिंह यादव

समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने दोनों ही नेताओं को ही अलग-अलग मिलने बुलाया था और अखिलेश यादव खुद भी कह चुके हैं कि वो नेताजी की बातों को सर्वमान्य मानते हैं। दूसरी तरफ शिवपाल यादव भी अपने बड़े भाई का बेहद सम्मान करते हैं ऐसे में उम्मीद जतायी जा रही है कि मुलायम सिंह यादव कामों और शक्तियों का बंटवारा कर परिवार और पार्टी दोनों को टूटने से बचा लेंगे।


चाचा भतीजे में कर सकते हैं काम का बंटवारा

पार्टी और परिवार में कलह को खत्म करने के लिए मुलायम सिंह यादव दोनों नेताओं के बीच काम का बंटवारा भी कर सकते हैं। मुलायम सिंह यादव अखिलेश यादव को जहां सरकार की कमान पूरी तरह सौंप सकते हैं जिसमें शिवपाल यादव की कोई भूमिका नहीं हो और सारे निर्णय अखिलेश यादव खुद कर सकें वहीं शिवपाल यादव को पार्टी और आनेवाले चुनाव की पूरी जिम्मेदारी दे सकते हैं जिससे दोनों में विवाद को होने से रोका जा सके। इसका मतलब ये हुआ कि अखिलेश सरकार चलाएंगे और शिवपाल यादव पार्टी संगठन का नेतृत्व करेंगे जिसमें उन्हें किसी पार्टी से गठबंधन, विलय करने की पूरी छूट होगी

मुलायम खुद बन जाएं राज्य के मुख्यमंत्री

एक संभावना ये भी है कि सरकार और पार्टी में शुरू हुए विवाद को खत्म करने के लिए मुलायम सिंह यादव खुद सरकार की कमान संभाल लें और मुख्यमंत्री बन जाएं। इससे ये संभव हो सकता है कि शिवपाल सिंह यादव मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में काम करने को तैयार हो जाएं जो बड़े होने के नाते वो भतीजे के नेतृत्व में नहीं करना चाहते।

विधानसभा भंग कर सकते हैं मुलायम सिंह यादव

अगर किसी भी तरीके से चाचा-भतीजे के बीच जारी जंग खत्म नहीं होती है तो एक संभावना ये भी है कि मुलायम सिंह यादव राज्यपाल से मिलकर चुनाव से करीब एक साल पहले ही विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर दें और फिर चुनाव में प्रदर्शन का मूल्यांकन कर पद दें।


शिवपाल यादव की बात मान लें मुलायम

गौरतलब है कि शिवपाल यादव चुनाव को देखते हुए कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय के पक्ष में थे। संभवत: मुलायम सिंह यादव उनकी बात मान लें और कई बार शिवपाल सिंह यादव सरकार के कई मंत्रियों पर भ्रष्टाचार कराने में और उसमें शामिल रहने का आरोप लगा चुके है जो अखिलेश यादव के प्रिय रहे हैं। ऐसे में ध्यान देने वाली बात ये है कि विधानसभा में चर्चा के दौरान ही एक सवाल के जवाब में ये बताया गया था कि सिर्फ चाय-नाश्ते पर यूपी के मंत्रियों ने 9 करोड़ रुपये खर्च कर दिए जबकि शिवपाल सिंह यादव ने इस मद में एक भी पैसे खर्च नहीं किए थे।