logo-image

गोलियों से कम बीमारियों से ज़्यादा मर रहे हैं भारतीय जवान: सर्वे

देश में सीमा पर लड़ते हुए ​हर साल कई बीएसएफ जवान शहीद हो जाते हैं। लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार सीमा पर मरने वाले जवानों की संख्या बीमारी और दिल का दौरा पड़ने से मरने वालों की तुलना में बहुत कम है।

Updated on: 27 Nov 2016, 01:02 PM

नई दिल्ली:

देश में सीमा पर लड़ते हुए ​हर साल कई बीएसएफ जवान शहीद हो जाते हैं। लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार सीमा पर मरने वाले जवानों की संख्या बीमारी और दिल का दौरा पड़ने से मरने वालों की तुलना में बहुत कम है। जी हां, सरकार के पिछले दो साल के आंकड़ों के मुताबिक दुश्मनों से लोहा लेने से ज्यादा दिल का दौरा पड़ने और बीमारियों से ज्यादा जवान मरे हैं।

जनवरी 2015 से सितंबर 2016 के आंकड़े पेश 

हालांकि, सीमा पार से होने वाली गोलीबारी में महिलाओं, पुरुषों के साथ कई जवान मारे गए हैं। मगर, जनवरी 2015 से सितंबर 2016 के पेश किये गये आंकड़ों अनुसार कुल 774 लोग मारे गये हैं, जिसमें से केवल 25 लोग ही सीमा पार से हुई गोलाबारी में मारे गये हैं।

केवल 25 जवान सीमा पर दुश्मनों पर कार्रवाई करते हुए मारे गए

आंकड़ों में इस बात का खुलासा किया गया है कि 25 जवान सीमा पर दुश्मनों पर कार्रवाई करते हुए मारे गए हैं,जबकि 316 बीमारियों से और 117 की मौत  हार्ट अटैक से हुई है।

ये भी पढ़ें, मन की बात में पीएम मोदी ने कहा, 'नोटबंदी के बाद लोग टैक्स जमा कराने में लगे हैं'

अधिकारियों ने बताया कि यह एक चिंता का विषय है कि सीमा पर कार्रवाई करने के दौरान हमारे जवानों की इतनी मौत नहीं होती है, जितनी मलेरिया, एचआईवी/एड्स, रेल, सड़क और बाइक दुर्घटनाओं में होती है।

सेना में जवानों की मौत के ये रहे अन्य कारण

192 जवानों की मौत सड़क और रेल दुर्घटना में हुई, वहीं 18 जवानों ने एचआईवी/एड्स से दम तोड़ा, जबकि 38 की मौत कैंसर और पांच मलेरिया के कारण हुई।