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अग्नि-5 पर चीन ने दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन बने रहने की जताई उम्मीद

भारत द्वारा अग्नि-5 के परीक्षण पर चीन ने उम्मीद जताई है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् नियमों के अनुसार ही इसका परीक्षण किया है।

Updated on: 27 Dec 2016, 10:27 PM

नई दिल्ली:

भारत द्वारा अग्नि-5 के परीक्षण पर चीन ने उम्मीद जताई है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् नियमों के अनुसार ही इसका परीक्षण किया है। इधर भारत ने भी कहा है कि अग्नि का परीक्षण किसी देश विशेष को निशाना बनाकर नहीं किया है।

भारत ने परमाणु क्षमता से लैस अंतर महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है। जिसकी जद में पूरा चीन आता है। चीन ने कहा है कि दोनों देश 'शत्रु नहीं बल्कि सहयोगी' हैं। उसने उम्मीद जताई है कि इससे एशिया महाद्वीप में सामरिक संतुलन नहीं बिगड़ेगा।

इधर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा है, भारत की सामरिक क्षमता किसी देश विशेष को निशाना बनाने के लिये नहीं है। भारत सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों को मानता है और उम्मीद है कि बाकी के दूसरे देश भी यही करते होंगे। भारत की सामरिक स्वायत्तता सामरिक स्थिरता में योगदान देती है।"

अग्नि-5 के सफल परीक्षण पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, ''हमने इस परीक्षण से संबंधित रिपोर्ट देखी है''
उन्होंने कहा, "भारत ऐसे बैलिस्टिक मिसाइल विकसित कर सकता है जो परमाणु हथियार ढोने में सक्षम हो तो मेरा मानना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में इससे संबंधित प्रस्तावों में स्पष्ट नियम हैं।"

चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, 'हमारा हमेशा से मानना रहा है कि दक्षिण एशिया में शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिये सामरिक संतुलन और स्थिरता बनाए रखना जरूरी है।"

दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन का अर्थ हमेशा भारत और पाकिस्तान के सैन्य संतुलन से लगाया जाता है।

5,000 किलोमीटर तक मार करने वाले इस बलिस्टिक मिसाइल की जद में पूरा चीन आता है।

उन्होंने अग्नि-5 का निशाना चीन को बताते हुए भारत और अन्य जगहों पर की गई मीडिया रिपोर्ट की भी आलोचना की।

उन्होंने कहा, "भारत के परीक्षण पर हमने गौर किया कि कुछ मीडिया जिसमें भारतीय और जापानी मीडिया भी शामिल हैं, और उन लोगों ने कयास लगाया है कि यह चीन को लक्ष्य बनाकर किया गया है। मेरा मानना है कि भारत की मंशा के बारे में आप भारतीय पक्ष से पूछिए। हमारी नजर में भारत और चीन प्रतिद्वंदी नहीं बल्कि साझीदार हैं।'

उन्होंने कहा, "जहां तक हमारा सवाल है दोनों देशों के नेता मानते हैं कि भारत और चीन दोनों ही विकासशील देश हैं और एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहे हैं।"