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नहीं रहे क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति और साम्यवादी क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो, 90 साल की उम्र में हुआ निधन

राष्ट्रपति राउल ने सरकारी टेलीवीजन पर फिदेल कास्त्रो के निधन की ख़बर जारी की है।

Updated on: 26 Nov 2016, 03:23 PM

नई दिल्ली:

क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो का 90 वर्ष की उम्र में राजधानी हवाना में निधन हो गया। कास्त्रो को साम्यवादी विचारधारा का महान पोषक और क्रांतिकारी नेता भी माना जाता रहा है।

राष्ट्रपति राउल ने सरकारी टेलीवीजन पर फिदेल कास्त्रो के निधन की ख़बर जारी करते हुए कहा, 'क्यूबा क्रांति के कमांडर का आज शाम 22.29 पर निधन हो गया।'

ख़बरों के मुताबिक़ वो हाल के दिनों में आंत की बीमारी से जूझ रहे थे, हालांकि सार्वजनिक तौर पर कभी भी इस तरह की ख़बर नहीं आयी। दरअसल फिदेल अप्रैल महीने से ही सार्वजनिक रूप से नहीं दिखे थे।

13 अगस्त, 1926 को जन्मे कास्त्रो क्यूबा की क्रांति के नेताओं में से एक थे। वह फरवरी 1959 से दिसंबर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फिर फरवरी 2008 तक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया और उनके भाई राउल कास्त्रो को यह पदभार मिला।

अमेरिका के विरोधी थे कास्त्रो
फिडेल कास्त्रो अमेरिका के नीतियों की खुले तौर पर मुख़ालिफ़त करते थे। शीतयुद्ध के दौरान उन्‍होंने अपनी पहचान अमेरिकन नीतियों के धुर विरोधी नेता के तौर पर बनाई थी। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद उन्होंने हमेशा ही अमेरिका का खुलकर विरोध किया । वे अमेरिकन कंपनियों के विरोधी थे और क्यूबा में इसके ख़िलाफ़ अभियान चला रहे थे।

भारत से था दोस्ताना संबंध

उन्‍हें भारत के सबसे गहरे दोस्‍तों में शुमार किया जाता था। शीतयुद्ध के दौरान वे भारत और क्‍यूबा के बेहद क़रीब आ गए थे।

शैक्षणिक योग्यता
इनका जन्म अमीर परिवार में हुआ था और इन्होंने कानूनी पढ़ाई में डिग्री प्राप्त की थी। हवाना विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हुए इन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की और क्यूबा की राजनीति में एक मान्यता प्राप्त व्यक्ति बन गए।

परिवार
इनके पिता का नाम एंजेल कास्त्रो था। वाय अर्गिज़ की तीसरी संतान हैं। एंजेल स्पेन के सबसे ग़रीब इलाक़े गलिसिंअन के अप्रवासी थे, जो चीनी उद्योग में काम करके और सफल निवेश के माध्यम से अपेक्षाकृत समृद्ध बने। उनकी मां, लीना रूज़ गोंजालेज, एक घरेलू महिला थी।