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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मिटेंगे सभी दुख, मंत्रों जाप से हर परेशानी होगी दूर

इस बार शारदीय नवरात्र में 16 वर्षों बाद 10 दिन का महायोग बना है। नवरात्र के पहले और दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने मां शैलपुत्री की पूजा की। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्र के दूसरे मां ब्रह्म्चारिणी की पूजा की जाती है, जो आज की जाएगी।

Updated on: 03 Oct 2016, 08:10 AM

नई दिल्ली:

इस बार शारदीय नवरात्र में 16 वर्षों बाद 10 दिन का महायोग बना है। नवरात्र के पहले और दूसरे दिन श्रद्धालुओं ने मां शैलपुत्री की पूजा की। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्र के दूसरे मां ब्रह्म्चारिणी की पूजा की जाती है, जो आज की जाएगी।  इस दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा कर श्रद्धालु मनवांछित फल की कामना करते हैं। आज हम आपको मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की विधि और उनके मंत्रों के बारे में बताएंगे, जिससे आप विधिविधान से कर मां को प्रसन्न कर सकें।

ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी से तात्पर्य आचरण करने वाले से होती है। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली मां। ये कमल के फूल पर विराजमान होती हैं। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमण्डल रहता है।

मां दुर्गा का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी होती है। उसमें तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता है।

मां के मंत्रों का जाप करें

इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु
देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा

इसके पश्चात् देवी को पंचामृत स्नान करायें और विभिन्न फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें। देवी को अरूहूल व कमल का फूल बेहद प्रिय होता है। कोशिश करें की मां को इन फूलों की माला पहनायें, घी और कपूर देवी की आरती करें।

“मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ”

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥
“मां ब्रह्मचारिणी का कवच”
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

मां के इन मंत्रों का जाप करने के बाद उनके किसी भक्त पर कोई भी विपदा नहीं आ सकती है।