पलायन से लेकर आपदा प्रबंधन, क्या उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी के इन चुनावी घोषणाओं को पहना सकेंगे अमलीजामा?
बीजेपी ने अपने मेनिफोस्ट भी किसानों की भी बात की है। ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को खास तौर पर लोन दिया जाएगा।
नई दिल्ली:
त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार को उत्तराखंड के सीएम पद की शपथ ले लेंगे। उत्तराखंड चुनाव में बीजेपी को 70 सीटें मिली है। बीजेपी को मिले इस प्रचंड बहुमत ने साबित कर दिया है कि जनता को इस सरकार से काफी उम्मीदें हैं।
खासकर, जनता को इतनी तो उम्मीदें होगी ही कि कम से कम बीजेपी अपने चुनावी घोषणापत्र पर खड़ा उतरेगी।
बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों को रेखांकित किया। भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में कहा था कि अगर सरकाई आई तो रिक्त पदों पर 6 माह में भर्तियां हो जाएंगी। साथ ही साल 2019 तक हर गांव में सड़के होंगी। यही नहीं, लोकलुभावन वादों को भी तरजीह दी गई। इसी के तहत छात्रों को लौपटॉप और स्मार्टफोन देने सहित विश्वविद्यालयों में फ्री वाई-फाई की सुविधा जैसी बातों को का भी जिक्र बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किया।
बीजेपी ने अपने मेनिफोस्ट भी किसानों की भी बात की है। ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को खास तौर पर लोन दिया जाएगा। गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए विशेष हेल्थ कार्ड मुहैया होगा। साथ ही संस्कृत, ओषधि और ज्योतिष कर्मकांड के अध्ययन को बढ़ावा देने की बात कही गई है।
इन वादों के बीच आईए, एक नजर डालते हैं उत्तराखंड की मुख्य समस्याओं पर और उन्हें लेकर वादों में ही सही लेकिन बीजेपी की पहल पर
विस्थापन
उत्तराखंड के कुल 53, 483 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 46, 035 वर्ग किलोमीटर पहाड़ी है। राज्य बनने के बाद विकास के मामले में इन दोनों क्षेत्रों की दूरियों को कम करने की बात कही गई थी। लेकिन ऐसा अब तक हुआ नहीं है और यही कारण भी है कि विस्थापन राज्य की बड़ी समस्या बनता जा रहा है।
कांग्रेस ने भी अपने चुनावी वादे में शामिल किया और कहा कि 2022 तक वह इसे खत्म कर देगी। हालांकि, रोडमैप क्या होगा, इस पर कुछ भी नहीं कहा गया। दूसरी ओर बीजेपी ने भी इस मुद्दे पर जगह दी है और अपने घोषणापत्र में इससे निपटने की कोशिश की बात कही है।
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आपदा प्रबंधन
उत्तराखंड में आने वाली प्राकृतिक आपदा से सभी वाकिफ हैं। हाल के वर्षों में वहां हुए कंस्ट्रक्शन और बढ़ती भीड़ ने मामला और बिगाड़ दिया है। बीजेपी ने घोषणापत्र में वादा किया है कि राज्य में आपदा प्रबंधन के मौजूद इंफ्रास्ट्रक्चर को नया रूप देगी। कैसे और कब, इस पर कुछ भी साफ नहीं है।
नौकरी और शिक्षा
चुनाव से ठीक पहले हरीश रावत ने 2020 तक हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया था। साथ ही 2,500 बेरोजगारी भत्ता की भी बात की। इन वादों ने खूब चर्च भी बटोरी लेकिन लोग बीजेपी की ओर गए। बीजेपी ने रोजगार की बात तो की लेकिन साथ ही शिक्षा पर उसका विशेष जोर रहा।
बीजेपी ने राज्य में संस्कृत की पढ़ाई और रिसर्च सहित वास्तुशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र और कर्म-कांड पर अध्ययन को बढ़ावा देने सहित मदरसों में कंप्यूटर और आधुनिक शिक्षा की बात की। साथ ही लड़कियों के लिए पढ़ाई की विशेष सुविधा सहित विश्वविद्यालयों में फ्री वाई-फाई का वादा किया।
रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों पर विशेष ध्यान
कहा जाता है कि उत्तराखंड में हर पांचवा या छठा घर किसी फौजी का है। जाहिर, राज्य की राजनीति में इनका अहम रोल है। कई नेता आर्मी की पृष्ठभूमि से आते हैं। बीजेपी ने वादा किया है कि रिटायर फौजियों के लिए रोजगार की व्यवस्था होगी और उनके लिए बेहतर योजनाएं बनाई जाएंगी। हालांकि, हरीश रावत ने भी फौजियों से जुड़े परिवारों को बेहतर सुविधा देने के लिए अलग मंत्रालय के गठन की बात कही थी।
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पर्यटन
राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने का मुद्दा भी अहम है। बीजेपी ने नई पर्यटन नीति बनाने सहित पर्यटन के लिए नई जगहों को रेखांकित करने का वादा किया है।
गैरसेन
उत्तराखंड के बनने से पहले एक आम सहमति यही थी कि गढ़वाल और कुमाऊ की सीमा पर स्थित पहाड़ी शहर गैरसेन को राजधानी का दर्जा मिलेगा। देहरादून को केवल कुछ समय के लिए राजधानी बनाया गया था। हालांकि, 17 साल बाद भी राजधानी बदलने का काम बाकी है। बीजेपी कह चुकी है वह इस दिशा में प्रयास करेगी।
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