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योगी आदित्यनाथ से सीएम की रेस में पिछड़े केशव प्रसाद मौर्य को बनाया गया उप-मुख्यमंत्री

बीजेपी को बड़ी सफलता दिलाने वाले केशव को उम्मीद थी की उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर गिफ्ट दिया जा सकता है। लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं उप मुख्यमंत्री बनाया गया है।

Updated on: 18 Mar 2017, 07:34 PM

highlights

  • योगी आदित्यनाथ होंगे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, रविवार को लेंगे शपथ
  • केशव प्रसाद मौर्य, और दिनेश शर्मा को बनाया गया उत्तर प्रदेश का उप-मुख्यमंत्री
  • ओबीसी हैं केशव प्रसाद मौर्य, उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई

नई दिल्ली:

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का नाम तय हो गया है। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होंगे। इससे पहले उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और पिछड़े समाज से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य का नाम सीएम की रेस में सबसे आगे था। लेकिन उन्हें और लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है।

भारतीय जनता पार्टी ने पिछले साल सबसे बड़ा चुनावी दांव खेलते हुए ओबीसी चेहरे केशव प्रसाद मौर्य को यूपी बीजेपी का अध्‍यक्ष बनाया था। उनके नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की धुंआधार रैली की बदौलत बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 403 में से 312 सीटें हासिल की है।

बीजेपी को बड़ी सफलता दिलाने वाले केशव को उम्मीद थी की उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर गिफ्ट दिया जा सकता है। लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं उप मुख्यमंत्री बनाया गया है।

दरअसल योगी आदित्यनाथ राजपूत समाज से आते हैं और उत्तर प्रदेश जैसे सांप्रदायिक रूप से राज्य में कट्टर हिंदुत्व के अगुवा रहे हैं। यही वजह रही की केशव प्रसाद मौर्य के मुकाबले योगी आदित्य नाथ संघ की स्वाभाविक और सहज पसंद बन यूपी सीएम की दावेदारी पर कब्जा करने में सफल रहे।

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लंबे समय तक विश्व हिंदू परिषद से जुड़े केशव प्रसाद मौर्य ने 2002 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और बीजेपी के टिकट पर पहली बार इलाहाबाद शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद 2007 में भी मौर्य को इलाहाबाद पश्चिम सीट से हार का सामना करना पड़ा।

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उन्हें पहली बार 2012 विधानसभा चुनाव में सिराथू विधानसभा चुनाव में जीत मिली। दो साल तक विधायक रहने के बाद 2014 लोकसभा चुनाव में पहली बार लड़े और फूलपुर से सांसद चुने गये। धीरे धीरे पार्टी में उनका कद बढ़ता गया और उन्हें 2016 में प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया। राजनीतिक करियर शुरू करने से पहले वो विश्‍व हिंदू परिषण और बजरंग दल में करीब 18 साल तक प्रचारक रहे हैं।

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