समाजवादी पार्टी में कलह के बीच बोले अखिलेश, 'कहां नट बोल्ट, कहां हथौड़ा इस्तेमाल करना है, सही से करेंगे'
अखिलेश यादव ने कहा, 'हम चुनाव में जा रहे हैं, दोबारा लौटेंगे, कहां नोट बोल्ट लगाना है कहां हथौड़ा इस्तेमाल करना है, सही से करेंगे।'
highlights
- समाजवादी पार्टी में अब तक सुलह नहीं, मुलाकातों का दौर जारी
- अखिलेश ने कहा, कहां नोट बोल्ट और हथौड़ा इस्तेमाल करना है, सही से करेंगे
- सीएम ने कहा, लैपटॉप पर हमारी और नेताजी की तस्वीर दिखती है, कोई उसे हटाना चाहे तो भी नहीं हटा सकता
नई दिल्ली:
दो फाड़ हो चुकी समाजवादी पार्टी (सपा) में कलह को लेकर तरह-तरह की खबरें आ रही है। इस बीच अपने पिता को पार्टी प्रमुख से 'बेदखल' कर कमान संभाल चुके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, 'हम चुनाव में जा रहे हैं, दोबारा लौटेंगे, कहां नोट बोल्ट लगाना है कहां हथौड़ा इस्तेमाल करना है, सही से करेंगे।'
अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के बीच संबंधों में खटास की खबर आम चुकी है। हालांकि अखिलेश ने कहा, 'हमने जो लैपटॉप बांटे हैं वो ऑन करने पे हमारी और नेताजी की तस्वीर दिखती है, कोई उसे हटाना चाहे तो भी नहीं हटा सकता।' उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने लखनऊ में प्रवासी दिवस 2017 को संबोधित कर रहे थे।
अपने संबोधन के दौरान उन्होंने 'समाजवादी सरकार' जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया। अखिलेश ने कहा कि मैं आपसे ऐसे दिन मिल रहा हूं जब हम जनता के बीच जाने वाले हैं। मुझे लगता है कि यह पहले चुनाव है जब लोगों ने मन बना लिया है कि किसको लेकर आना है।
अखिलेश ने प्रवासी सम्मेलन से इतर कहा, 'लोकतंत्र में नेताजी (मुलायम) ने मुझे मौका दिया, उन्हीं के आर्शीवाद से हम लोगों ने इतना काम किया है।'
अखिलेश यादव ने अपने काम की तारीफ करते हुए कहा कि लोगों ने मन बना लिया है कि जनता किसको चुनेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने साफ करने की कोशिश की कि मुलायम के असली राजनीतिक वारिश कौन है।
परिवार में फूट पर पत्रकारों के हर एक सवाल का जबाव अखिलेश अपने विकास योजनाओं की परछांई में दे रहे ते। उन्होंने कहा कि पहले दिन से ही जनता चाहती है कि समाजवादी पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में हो। उन्होंने चुनाव की तारीखों पर कहा, 'तारीख आ जाए तो समझो लड़ाई शुरू हो गई है।'
पार्टी में वर्चस्व को लेकर जारी लड़ाई के बीच मंगलवार को अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम के साथ करीब साढ़े तीन घंटे तक बैठक की थी। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान अखिलेश और मुलायम ने सुलह के लिए अपनी-अपनी शर्तें रखी।
सूत्रों के अनुसार, मुलायम और अखिलेश के बीच अब भी सुलह की गुंजाइश है। टिकटों के बंटवारे के अधिकार से लेकर संगठन में बदलाव और कुछ प्रमुख लोगों को पार्टी से निकालने के अधिकार मिलने पर अखिलेश पिता मुलायम के समक्ष झुक सकते हैं। सूत्र यह भी बताते हैं कि पिता-पुत्र में सहमति बनी है कि अखिलेश सपा अध्यक्ष का पद छोड़ दें और शिवपाल यादव को केंद्र की राजनीति में भेजा जाए।
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अखिलेश-रामगोपाल और मुलायम-शिवपाल खेमों में बंट चुकी सपा में सुलह के लिए उत्तर प्रदेश के कद्दावर मंत्री आजम खान अहम भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन अभी तक कोई ठोस रास्ता नहीं निकल पाया है। इस बीच चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। अगर दोनों गुटों के बीच सहमति नहीं बनती है तो सत्तारूढ़ दल को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
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