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जांच के बाद ही वाराणसी हादसा पर कुछ कहा जा सकता है: जिला मजिस्ट्रेट

पीटीआई के मुताबिक बीम के नीचे दबे वाहनों को गैस कटर से काट कर सेना और एनडीआरएफ के जवानों ने 18 शव और 30 से अधिक घायलों को बाहर निकाला है।

Updated on: 16 May 2018, 12:27 PM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मंगलवार शाम को कैंट रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन फ्लाईओवर हादसे को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर यह हादसा हुआ कैसे जबकि राज्य सरकार की निगरानी में काम हो रहा था।

हालांकि इस बारे में जिला मजिस्ट्रेट योगेश्वर मिश्रा ने भी फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी है।

उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया, 'जांच के बाद ही हादसे के सही वजह का पता चल पाएगा, हमलोग भी जांच रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं। पीड़ितों को जल्द ही सहायता राशि भेज दी जाएगी। अब तक इस दुर्घटना में 15 लोगों की जान गई है जबकि 11 लोग घायल हैं।'

गौरतलब है कि निर्माणाधीन चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर के दो बीम मंगलवार शाम सड़क पर गिर पड़े। बीम के नीचे महानगर सेवा की एक बस सहित दर्जन भर वाहन दब गए।

पीटीआई के मुताबिक बीम के नीचे दबे वाहनों को गैस कटर से काट कर सेना और एनडीआरएफ के जवानों ने 18 शव और 30 से अधिक घायलों को बाहर निकाला है।

घायलों में से 14 की हालत गंभीर बताई गई है। हादसे के लगभग आधा घंटे बाद पुलिस पहुंची और तकरीबन डेढ़ घंटे बाद राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ।

रात 10 बजे राहत कार्य का पहला चरण समाप्त हो गया। इस दौरान देरी से राहत और बचाव कार्य शुरू होने के कारण भीड़ में मौजूद लोगों ने पुलिस-प्रशासन के विरोध में कई बार नारेबाजी की।

प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो लगभग साढ़े पांच बजे दो बीम गिरीं। एईएन कलोनी व आसपास के लोगों ने किनारे दबे लोगों को कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला। इसके बाद अंदर फंसे लोगों को निकालने में जुट गए।

एनडीआरएफ के आने के बाद बचाव कार्य में तेजी आई। लगभग साढ़े सात बजे लोगों को निकाला जाना शुरू हुआ।

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