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देवरिया कांड की जांच CBI को, पिछली सरकारें जिम्मेदार: सीएम योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देवरिया बालिका गृह केस को लेकर मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए केस की सीबीआई जांच की बात कही है।

Updated on: 07 Aug 2018, 11:28 PM

यूपी:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देवरिया बालिका गृह केस को लेकर मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए केस की सीबीआई जांच की बात कही है।

सीएम योगी ने पिछली सरकारों पर इसका ठीकरा फोड़ते हुए कहा, 'उनकी सरकार आने के बाद साल 2017 में बालिका गृह की मान्यता रद्द कर दी गई थी। इसके बावजूद उसे 2009 से चलाया जा रहा था। इस पर पुलिस की लापरवाही की जांच की जाएगी।'

प्रेस कॉफ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक हुई जांच में जितने भी अधिकारी जिम्मेदार पाए गए हैं, सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में लापरवाह अधिकारियों को निलंबित एवं बर्खास्त किया जाएगा। इसकी जांच के लिए एडीजे के नेतृत्व में एसआईटी का भी गठन किया गया है। 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि देवरिया के नारी संरक्षण गृह में बालिकाओं के शोषण की सीबीआई से पहले तथ्यों से कोई छेड़छाड़ न हो, इसके लिए एडीजी क्राइम के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है। इस मामले में एसटीएफ भी उसकी मदद करेगी। मुख्यमंत्री ने नारी संरक्षण गृह में अनियमितता के लिए बसपा-सपा की पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया।

गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की तरह ही उत्तर प्रदेश के देवरिया में बालिका संरक्षण गृह में भी देह व्यापार कराए जाने का खुलासा हुआ था। संरक्षण गृह से भागी एक लड़की ने बीते रविवार को इस बात की जानकारी दी। इसकी खबर मिलते ही जब रात में पुलिस ने छापा मारा तो वहां से 18 लड़कियां गायब मिलीं।

सीएम ने लिया मामले का संज्ञान

यह मामला सामने आने के बाद संचालिका और उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं, सीएम ने जिले के डीएम सुजीत कुमार को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दे दिए। जिले के पूर्व डीपीओ की लापरवाही देखते हुए उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया। पूर्व प्रभारी जिला प्रोबेशन अधिकारी नीरज कुमार और अनूप सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए।

रद्द की जा चुकी थी बालिका गृह की मान्यता

पुलिस के मुताबिक, इस एनजीओ की सूची में 42 लड़कियों का नाम दर्ज था, लेकिन छापेमारी के दौरान मौके पर केवल 24 लड़कियां मिली थीं। साल 2017 में इस बालिका गृह की जांच हुई थी। इस दौरान एनजीओ में अनियमितता पाई गई थी, जिसके बाद इसकी मान्यता को रद्द कर दिया गया था।

आरोपियों पर केस हुआ दर्ज

शेल्टर होम से भागी बच्ची ने पुलिस को बताया कि वहां सफेद और काले रंग की कारों में लोग आते थे। मैडम के साथ लड़कियां लेकर जाते थे, वो देर रात रोते हुए लौटा करती थीं। छापेमारी के बाद संचालिका और उसके पति के खिलाफ मानव तस्करी, देह व्यापार और बाल श्रम से जुड़ी तमाम धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

बिहार में बालिका गृह में लड़कियों के साथ हुआ रेप

बता दें कि इसके पहले बिहार के मुजफ्फरपुर में बालिका गृह की 34 लड़कियों के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आ चुका है। मामले की सीबीआई जांच चल रही है। वहीं, इस कांड को लेकर सियासत भी गर्म है।

(IANS इनपुट के साथ)

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