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गोरखपुर हादसा: सोशल साइट्स पर 'मसीहा' बताए जाने वाले डॉक्टर कफ़ील लापरवाही के आरोप में हटाए गए

फ़ैसले के मुताबिक अस्पताल के वाइस प्रिंसिपल और सुपरिटेंडेंट डॉक्टर कफील खान दोनो को ड्यटी से हटा दिया गया।

Updated on: 13 Aug 2017, 08:21 PM

highlights

  • बीआरडी अस्पताल में 30 से ज़्यादा बच्चों की आकस्मिक मौत को लेकर डॉक्टर कफील अहमद खान को हटा दिया गया है
  • ये फ़ैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीआरडी अस्पताल दौरे के ठीक बाद लिया गया है

नई दिल्ली:

गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) अस्पताल में 30 से ज़्यादा बच्चों की आकस्मिक मौत को लेकर अब तक 'मसीहा' बताए जा रहे डॉक्टर कफ़ील अहमद खान को हटा दिया गया है। बता दें कि ये फ़ैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीआरडी अस्पताल दौरे के ठीक बाद लिया गया है।

फ़ैसले के मुताबिक अस्पताल के वाइस प्रिंसिपल और सुपरिटेंडेंट डॉक्टर कफ़ील खान दोनो को ड्यटी से हटा दिया गया। 

यूपी सरकार ने डॉ कफ़ील को हटाकर उनकी जगह डॉ. भूपेंद्र शर्मा को नीओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) का प्रमुख नियुक्त किया है। वहीं राजकीय मेडिकल कॉलेज, अंबेडकर नगर के प्रिंसपल डॉ. पीके सिंह को अतिरिक्त ज़िम्मेदारी सौंपते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज का प्रिंसपल नियुक्त किया है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज सूत्रों के मुताबिक योगी सरकार ने डॉ कफ़ील को ऑक्सीजन की कमी होने के बावजूद सरकार को इसकी सूचना नहीं देने का दोषी पाया है। उनपर आरोप लगा है कि डॉ. कफ़ील समय पर सही निर्णय नहीं ले पाये और उनकी लापरवाही की वजह से बच्चों की जान चली गई।

सूत्रों ने यहां तक बताया है कि डॉ. कफ़ील ने ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी से जुड़ी जानकारी और बकाया को लेकर कंपनी की तरफ से दी जा रही वार्निंग की जानकारी भी गोरखपुर प्रशासन से नहीं किया था। जबकि इसी महीने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ताज़ा हालात का जाएज़ा लेने के लिए बैठक भी बुलाई गई थी।

डॉक्टर कफ़ील अहमद खान इंसेफेलाइटिस डिपार्टमेंट के इंचार्ज और चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं। बताया जाता है कि डॉक्टर कफ़ील खान बस्ती जिले के रहने वाले हैं और क़रीब डेढ़ साल पहले बीआरडी कॉलेज आए थे।

गोरखपुर के स्थानीय अख़बारों के मुताबिक डॉ. कफ़ील बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म होने पर एटीएम से पैसे निकालकर रातभर ऑक्सीजन सिलेंडर की जुगत करते रहे थे। उनके इस जीतोड़ प्रयास की वजह से सोशल मीडिया पर भी उनकर जमकर तारीफ की जा रही थी।

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बताया जा रहा है कि जिस रात इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चे ऑक्सीजन की कमी की वजह से गोरखपुर के बीआरडी कॉलेज में ज़िदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे थे, उसी वक़्त डॉ खान करीब रात 2 बजे उन बच्चों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी दूर करने के लिए भागा दौड़ी कर रहे थे।

उन्हें जैसे ही ऑक्सीजन खत्म होने की सूचना मिली, वो फौरन अपनी गाड़ी से एक जानकार डॉक्टर के अस्पताल पहुंचकर तीन जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर पहुंचे। उनकी इस कोशिश से कुछ देर के लिए राहत हो गई। लेकिन सुबह होते-होते फिर से ऑक्सीजन की कमी होने लगी।

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एक बार फिर उन्होंने अपने जानकार डॉक्टरों से मदद मांगी और खुद जाकर करीब एक दर्जन ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर अस्पताल पहुंचे। मौजूदा लोगों के मुताबिक डॉ खान ने खुद अपने एटीएम से पैसे निकलाकर एक सप्लायर को भुगतान किया, जिसके बाद वो ऑक्सीजन सिलेंडर देने को तैयार हुआ।

हालांकि तब तक हालात बिगड़ने शुरू हो चुके थे। डॉ खान बेहद बेबस नजर आ रहे थे, पर लगातार ऑक्सीजन के सिलेंडर के इंतेजाम में जुटे रहे।

उनकी लाख कोशिशों के बावजूद सुबह होते-होते 36 बच्चों ने दम तोड़ दिया। अस्पताल में मौजूद लोगों की माने तो अपनी आंखों के सामने मरते मासूमों को देखते हुए डॉ खान छटपटाते रहे।

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