मुलायम अगर अकेले चुनाव लड़े तो आज़म खान को प्रोजेक्ट कर सकते है सीएम उम्मीदवार, बेटे अखिलेश के खिलाफ ये हो सकता है तुरूप का पत्ता
समाजवादी पार्टी में चल रहा घमासान और गहरा सकता है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि अगर पार्टी दो फाड़ होती है तो मुलायम सिंह यादव आज़म खान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकते हैं।
नई दिल्ली:
समाजवादी पार्टी में चल रहा घमासान और गहरा सकता है। ऐसी खबरें आ रही हैं कि अगर पार्टी दो फाड़ होती है तो मुलायम सिंह यादव आज़म खान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकते हैं।
मुलायम सिंह यादव को विश्वास है कि वो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे। चुनाव के लिये उन्होंने एक योजना भी तैयार कर रखी है। उनका ये दांव बेटे अखिलेश के खिलाफ तुरूप का पत्ता साबित हो सकता है।
दरअसल मुस्लिम समाजवादी पार्टी के परंपरागत वोटर रहे हैं और मुलायम सिंह यादव नहीं चाहते हैं कि मुस्लिम वोट बैंक उनसे दूर जाए ऐसे में वो आज़म खान को पार्टी के मुस्लिम चेहरे के रूप में पेश कर सकते हैं। उनकी रणनीति ये है कि आज़म खान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से पार्टी को मुस्लिम वोट बैंक का फायदा मिल सकता है और वो दूसर पार्टी के खाते में नहीं जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि तो मुलायम सिंह यादव इस संबंध में आजम खान से बातचीत कर सकते हैं। मुलायम सिंह यादव के इस फैसले का समर्थन शिवपाल यादव और आजम खान के विरोधी माने जाने वाले अमर सिंह भी कर सकते हैं।
मुलायम सिंह यादव पहले ही कह चुके हैं कि वो ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा, "मैं ही समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं, अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हैं और शिवपाल यादव प्रदेश अध्यक्ष हैं।”
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मुलायम सिंह यादव और ने अखिलेश के बीच सुलह के आसार कम नज़र आ रहे हैं। दोनों ही एक दूसरे के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया है। शनिवार को मुलायम ने कहा था कि अखिलेश उनको राष्ट्रीय अध्यक्ष, शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष मानें। साथ ही टिकट बंटवारे के विवाद को चाचा शिवपाल के साथ बातचीत कर सुलझा लें। लेकिन अखिलेश ने मुलायम के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
इधर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच चुनावी गठबबंधन को लेकर भी अखिलेश जोर लगा रहे थे। कई बार उन्होंने कहा था ककि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में गठबंधन हो जाए तो दोबारा पार्टी सत्ता में आ सकती है। लेकिन अब अखिलेश की इस कोशिश पर ग्रहण लगता नज़र आ रहा है। पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर झगड़ा चल रहा है और अगर सपा दो धड़ों में बंटती है तो पार्टी का चुनाव चिन्ह उन्हें ही मिलेगा ये निश्चित नहीं है।
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