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Shri Krishna: यहां है भगवान श्रीकृष्ण की सबसे कीमती मूर्ति, कीमत करीब 2500 करोड़

अब गढ़वा के एक ऐसे कृष्ण मंदिर के बारे में आपको बताएंगे, जिसका इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है. जितना पुराना इतिहास उतनी ही अनोखी यहां श्री कृष्ण की मूर्ति.

Updated on: 03 May 2023, 10:26 AM

highlights

  • बंशीधर मंदिर का अनोखा इतिहास
  • श्रीकृष्ण की सबसे कीमती मूर्ति
  • 1280 किलो सोने की प्रतिमा की खासियत
  • जन्माष्टमी में उमड़ता है आस्था का सैलाब

Garhwa :

अब गढ़वा के एक ऐसे कृष्ण मंदिर के बारे में आपको बताएंगे, जिसका इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है. जितना पुराना इतिहास उतनी ही अनोखी यहां श्री कृष्ण की मूर्ति. जो 1280 किलो सोने से बनाई गई है. कृष्ण भक्तों के लिए गढ़वा किसी स्वर्ग से कम नहीं, क्योंकि यहां के बंशीधर मंदिर में खुद घनश्याम विराजते हैं. भगवान कृष्ण की ऐसी अद्वितीय, अलौकिक और मनोहर प्रतिमा शायद ही कहीं और देखने को मिले. 32 मन यानी 1280 किलो सोने से बनी ये प्रतिमा दुनिया की सबसे कीमती कृष्ण प्रतिमा मानी जाती है, जिसकी कीमत 2500 करोड़ के आस-पास है.

श्रीकृष्ण की सबसे कीमती मूर्ति

मंदिर में श्री कृष्ण की प्रतिमा शेषनाग पर विराजमान हैं, लेकिन शेषनाग वाला हिस्सा जमीन के अंदर दबा हुआ है. ऐसे में बाहर से ये प्रतिमा 4-5 फीट की ही नजर आती है. अष्टधातु से बनी इस मूर्ति का वजह करीब 120 किलो है. कहा जाता है कि ये मूर्ति सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में 32 मन सोने से बनने वाली एकमात्र मूर्ति है. किवदंतियों की मानें तो करीब दो सौ साल पहले नगर उंटारी की राजमाता शिवमानी कुअंर को सपना आया. सपने के आधार पर पहाड़ पर खुदाई करायी गयी. पहाड़ में से ही श्री कृष्ण की ये प्रतिमा मिली. कहा जाता है कि राजमाता प्रतिमा को अपने महल में स्थापित करना चाहती थीं, लेकिन जो हाथी प्रतिमा पहाड़ से ला रहा था वो बीच रास्ते में ही बैठ गया. जहां हाथी बैठा वहीं पर प्रतिमा की स्थापना की गई और मंदिर का निर्माण हुआ.

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जन्माष्टमी में उमड़ता है आस्था का सैलाब

21 जनवरी 1828 को वसंत पंचमी के दिन श्री कृष्ण की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गयी और तब से ही गढ़वा का ये बंशीधर मंदिर कृष्ण भक्तों की आस्था का केंद्र बन गया. जहां हर साल सैंकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर की प्रसिद्धि और आस्था का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि साहित्य की दुनिया में महापंडित की उपाधि पाने वाले राहुल सांकृत्यायन ने भी अपनी यात्रा के दौरान इस मंदिर में कुछ समय गुज़ारा था और उन्होंने भी प्रतिमा को विश्व का अपने आप में अकेला अद्वितीय और अनूठा बताया था. वैसे तो हर दिन यहां भक्तों की भीड़ रहती है लेकिन कृष्णाष्टमी में यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है. भक्तों की भीड़ मंदिर की रौनक में चार चांद लगा देती है.

बंशीधर मंदिर भले ही श्री कृष्ण के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र हो, लेकिन इस मंदिर के बारे में आज भी ज्यादातर लोग नहीं जानते. ऐसे में जरूरत है कि सरकार और प्रशासन मंदिर को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने के लिए पहल करे. ताकि सैंकड़ों सालों के इतिहास को अपने में समेटे इस मंदिर को वो पहचान मिले जिसका ये हकदार है.

रिपोर्ट : धर्मेन्द्र कुमार