J&K: घाटी में नापाक हरकत नहीं कर पाएगा पाकिस्तान, आतंकियों के सफाए के लिए सेना ने बनाया ये प्लान
Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के सफाए के लिए भारतीय सेना लगातार कार्रवाई कर रही है. लेकिन अब इसे जड़े खत्म करने और सीमापार से घुसपैठ को रोकने के लिए सेना ने नया प्लान बनाया है.
highlights
- घाटी में आतंकियों का होगा सफाया
- सीमा पार से आतंकी घुसपैठ पर भी लगेगी रोक
- राजौरी और पुंछ तैनात किए गए अतिरिक्त जवान
New Delhi:
Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान अपने किसी भी नापाक मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाएगा. इसके लिए भारतीय सेना ने तैयारियां तेज कर दी हैं. दरअसल, पाकिस्तान की बदली हुई रणनीति का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना भी तैयार है. जिसके लिए राजौरी और पुंछ के सीमावर्ती जिलों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की गई है. जिससे सीमा पार से घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम और घाटी में मौजूद आतंकियों का खात्मा किया जा सके. जानकारी के मुताबिक, 11 अक्टूबर 2021 को पीर-पंजाल क्षेत्र में आठ आतंकी हमले किए गए. जिनमें तीन अधिकारियों और पांच पैराट्रूपर्स समेत कुल 26 सैन्यकर्मी और सात नागरिक मारे गए थे.
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सूत्रों ने कहा कि खुफिया एजेंसियों ने रिपोर्ट दी है कि आने वाले महीनों में राजौरी और पुंछ जिलों में नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की और कोशिशें हो सकती हैं, क्योंकि पाकिस्तान इस क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने और दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों को भेजने के लिए इस मार्ग का उपयोग करने के लिए बेताब है.
आतंकियों के खात्मे के किए इंतजाम
भारतीय सेना ने घाटी में घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए अधिक सैनिकों को तैनात करके एलओसी के साथ-साथ आंतरिक इलाकों में भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. यही नहीं सेना ने ऐसे आतंकियों के खात्मे के लिए भी तैयारियां कर ली हैं जो सीमा पार कर भारतीय सीमा में दाखिल हो जाते हैं. ऐसे आतंकियों को उनके ठिकानों पर हमला करने से पहले ही या तो मार दिया जाएगा या फिर गिरफ्तार कर लिया जाएगा. सूत्रों ने कहा, "जनजातियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ढोक, जिसे वे अगले महीने की शुरुआत में सर्दियों के शुरू होते ही खाली कर देते हैं को निगरानी में रखा जाएगा. क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि इनका इस्तेमाल आतंकवादियों द्वारा आश्रय के लिए किया जा सकता है."
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बता दें कि इसी साल 20 अप्रैल को भट्टा डुरियन (मेंढर) में हुए आतंकी हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए, ये आतंकवादी ढोक में रुके थे. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में 'धोकों' पर कड़ी नजर रखने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, इसके अलावा नियंत्रण रेखा के करीब रहने वाले लोगों के साथ व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं, जिनसे किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है.
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सेना ने चलाया था ऑपरेशन सर्व विनाश
गौरतल है कि भारतीय सेना ने अप्रैल-मई 2003 में पीर पंजाल रेंज के हिलकाका पुंछ-सूरनकोट क्षेत्र में अड्डे बनाने वाले आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन 'सर्प विनाश' चलाया था. जिससे क्षेत्र में शांति लौट आई थी. लेकिन 2020 में राजौरी और पुंछ जिलों में आतंकवाद ने एक बार फिर से सिर उठाना शुरू किया. बता दें कि पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में, जहां राजौरी और पुंछ जिले स्थित हैं, एक पहाड़ी इलाका है जो 4,304 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. नियंत्रण रेखा दो सीमावर्ती जिलों के साथ घूमती है जो आज तक पाकिस्तानी आतंकवादियों के लिए घुसपैठ करने के लिए सबसे पसंदीदा रास्ता रहा है.
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