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उपेंद्र कुशवाहा ने कसा तंज, कहा- पवन सिंह के नाम पर बिना मतलब के हउआ

बिहार में राजनीति पारा हाई हो चुका है. वहीं, काराकाट सीट इन दिनों प्रदेश का हॉट सीट बन चुका है. उपेंद्र कुशवाहा से पवन सिंह को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आप लोग बिना मतलब का हउआ बना रहे हैं हैं.

Updated on: 16 Apr 2024, 05:04 PM

highlights

  • उपेंद्र कुशवाहा ने पवन सिंह के सवाल पर दी प्रतिक्रिया
  • कहा- पवन सिंह के नाम पर बिना मतलब के हउआ
  • मोदी की लहर और जनता के आशीर्वाद के आगे कोई नहीं

 

Patna:

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान को लेकर महज कुछ ही दिन शेष बच गए हैं. उससे पहले सभी राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. बिहार में राजनीति पारा हाई हो चुका है. वहीं, काराकाट सीट इन दिनों प्रदेश का हॉट सीट बन चुका है. काराकाट सीट से एनडीए की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा यहां से चुनावी मैदान में उतरे हैं तो दूसरी तरफ भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार पवन सिंह भी इस लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. आपको बता दें कि पहले बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के आसनसोल सीट से पवन सिंह को टिकट दिया था, लेकिन उस समय एक्टर ने इस सीट से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. 

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काराकाट सीट से चुनावी मैदान में पवन सिंह

बाद में ट्वीट कर पवन सिंह ने चुनाव लड़ने की इच्छा तो जताई थी, लेकिन बीजेपी को शायद एक्टर का पहला ट्वीट पसंद नहीं आया. जिसके बाद पहले तो पार्टी ने अपने स्टार प्रचारक की लिस्ट में भी पवन सिंह को शामिल नहीं किया और बाद में आसनसोल से बीजेपी ने एसएस अहलूवालिया को टिकट दिया है. इधर पवन सिंह अब बिहार के काराकाट सीट से उपेंद्र कुशवाहा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.

पवन सिंह के नाम पर बिना मतलब के हउआ

वहीं, मंगलवार को जब उपेंद्र कुशवाहा से पवन सिंह को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आप लोग बिना मतलब का हउआ बना रहे हैं हैं. जिसके ऊपर पीएम मोदी का हाथ हैं और जनता का आशीर्वाद है, उसके आगे दुनिया की कोई ताकत बाधा नहीं बन सकती. आगे कुशवाहा ने कहा कि मोदी जी की हवा तो पहले से ही चल रही है, जहां भी पीएम जा रहे हैं, वहां हवा भी लहर बन जा रही है.   

काराकाट का जातीय समीकरण? 
काराकाट सीट से जातीय समीकरण की बात करें तो इस बार 18 लाख 72 हजार से अधिक मतदाता वोट डालेंगे. यह क्षेत्र यादव और कुशवाहा बहुल है. वहीं, यहां सवर्ण और मुस्लिम वोटर्स भी काफी हैं. दलित-महादलित वोटर्स भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं और अति पिछड़ा में मल्लाह वोट भी काफी है.