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लोकसभा चुनाव

मिशन 2024 : BJP लगाएगी जीत की हैट्रिक या I.N.D.I.A. का दिखेगा दम, CPI(ML)L के राजू यादव हैं 'बाजीगर', जानिए-क्या कहते हैं आंकड़े?

1991 से पहले आरा में बक्सर और आरा संसदीय सीट आते थे लेकिन नए परिसीमन में मनेर विधानसभा को आरा से अलग कर दिया और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में जोड़ दिया गया. दूसरी तरफ आरा का वर्तमान चुनावी क्षेत्र भोजपुर जिले की परिधि में शामिल हो गया.

Updated on: 16 Sep 2023, 08:11 PM

highlights

  • कई इतिहास समेटे हुए है आरा
  • सबसे ज्यादा कांग्रेस ने आरा लोकसभा सीट पर किया राज
  • आर.के. सिंह पहले ऐसे प्रत्याशी जिन्होंने लगातार जीता दो बार चुनाव
  • आरा लोकसभा सीट पर बाहरी लोगों को मिलती रही है जीत
  • 2024 में आसान नहीं होगी NDA की राह

Arrah:

लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं और सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए हैं. बिहार के 40 सीटों में से 39 सीट पर वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव एनडीए को जीत मिली थी. बात यदि आरा लोकसभा सीट की करें तो यहां 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव ऐसा रहा जब को नेता लगातार दो बार संसद सदस्य बना. जी हां! एनडीए के प्रत्याशी आर. के. सिंह सिंह ही वो इकलौते लोकसभा चुनाव लड़ने वाले बीजेपी के पहले प्रत्याशी हैं जिन्हें लगातार दो बार जीत हासिल हुई है. आर. के. सिंह बीजेपी के चुनाव निशान यानि कमल पर चुनाव लड़े थे और दोनों ही बार जीत हासिल की थी. आज हम आरा लोकसभा सीट के बारे में बात करेंगे और यहां के ताजा चुनावी समीकरण, जाति समीकरण क्या हैं उसकी जानकारी देंगे.

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महाभारत और स्वतंत्रता संग्राम से है आरा का सम्बन्ध

आरा अपने आप में बहुत से इतिहास समेटे हुआ है. आरा का संबंध महाभारत से भी है. पुराणों के मुताबिक, पांडवों यानि युधिष्टर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव ने अपना गुप्तवास आरा में ही बिताया है. इतना ही नहीं आरा की भूमि 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुंवर सिंह की भी कर्मभूमि रही है. पहले आरा की पहचान शाहाबाद लोकसभा सीट के रूप में होती थी. वर्ष 1991 से पहले आरा में बक्सर और आरा संसदीय सीट आते थे लेकिन नए परिसीमन में मनेर विधानसभा को आरा से अलग कर दिया और पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में जोड़ दिया गया. दूसरी तरफ आरा का वर्तमान चुनावी क्षेत्र भोजपुर जिले की परिधि में शामिल हो गया है.

बाहरी रहे हैं आरा के लोगों की पसंद

आरा लोकसभा सीट पर शुरू से ही आरा के बाहर के लोग जीतते रहे हैं. 1952 से 2019 तक इस सीट पर 17 बार आम चुनाव हुए हैं और सभी प्रत्याशी आरा के बाहर के रहनेवाले हैं. इतना ही नहीं आरा के वर्तमान सांसद व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह खुद भी आरा के निवासी नहीं हैं. वो सुपौल के हैं लेकिन 2014 और 2019 यानि दो बार लगातार लोकसभा चुनाव आरा सीट से जीतने वाले बीजेपी के पहले प्रत्याशी हैं. अगर हरिद्वार प्रसाद सिंह और मीना सिंह को छोड़ दिया जाए ते 1952 से लेकर 2019 तक आरा सीट से आरा के बाहर वाले नेता को ही जीत मिली है. सिर्फ हरिद्वार प्रसाद सिंह और मीना सिंह ही आरा के ऐसे जनप्रतिधि रहे हैं जिन्हें इस सीट से जीत मिली थी.

कौन-कौन रह चुका है आरा से संसद सदस्य?

आरा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा कांग्रेस ने राज किया है. वर्ष 1957 से लेकर 1971 तक हुए लोकसभा चुनाव में बलीराम भगत संसद पहुंचे थे. 1957 से 1971 के बीच दो बार लोकसभा चुनाव 1962 और 1967 में यहां पर हुए थे. तब आरा लोकसभा सीट को शाहाबाद लोकसभा सीट के नाम से जाना जाता था.

-1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी को आरा आरा सीट पर जीत मिली. चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने यहां जीत हासिल की थी. 1980 में भी लोकसभा चुनाव यहां हुए और एक बार फिर से चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने फिर से जीत हासिल की.

-1984 में हुए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से बली राम भगत पर कांग्रेस ने भरोसा जताया और बली राम भगत को फिर से जीत मिली.

-1989 में कांग्रेस से एक बार फिर से आरा सीट छिन गई और इस बार इंडियन पिपुल्स फ्रंट के उम्मीदवार रामेश्वर प्रसाद ने जीत हासिल की.

-1991 के लोकसभा चुनाव जनता दल ने आरा लोकसभा सीट पर अपना परचम फहराया और जनता दल के प्रत्याशी राम लखन सिंह यादव ने जीत हासिल की.

-1996 को लोकसभा चुनाव में चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और उन्हें जनता दल ने अपना प्रत्याशी बनाया. चंद्रदेव प्रसाद वर्मा जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल करके संसद पहुंचे.

-1998 में फिर से आरा लोकसभा सीट पर चुनाव हुए और इस बार समता पार्टी के प्रत्याशी एच.पी. सिंह को जीत मिली.

-वर्ष 1999 में आरा लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में आरजेडी की जीत हुई. आरजेडी के प्रत्याशी राम प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की.

-2004 में एक बार फिर से आरा लोकसभा सीट पर आरजेडी ने जीत का परचम लहराया और कांती सिंह को जीत मिली.

-2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने आरा लोकसभा सीट पर अपनी जीत दर्ज कराई. जेडीयू की प्रत्याशी मीना सिंह को यहां जीत मिली.

-2014 और 2019 यानि दो बार लगातार यहां से बीजेपी को जीत मिली है. वर्तमान सांसद सह केंद्रीय मंत्री आर. के. सिंह नो 2014 और 2019 में यहां कमल खिलाया. वो बीजेपी के पहले प्रत्याशी हैं जिन्हें आरा से दो बार लगातार जीत हासिल हुई है. 

सबसे ज्यादा कांग्रेस ने किया राज

कुल मिलाकर आरा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस का राज रहा. वहीं, बलीराम भगत सबसे अधिक समय तक संसद में आरा सीट से प्रतिनिधित्व किया. यहां 1957 से 1977 तक कांग्रेस का राज रहा. 1977 से 1980 तक जनता पार्टी ने संसद में प्रतिनिधित्व किया.  1984 से 1989 तक एक बार फिर से कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत मिली लेकिन 1989 से 1991 तक इंडियन पिपुल्स फ्रंट को पहली और आखिरी बार यहां से जीत मिली थी. 1991 से लेकर 1998 तक यहां आरजेडी ने राज किया और 1998 से लेलेकर 1999 तक समता पार्टी ने पहली और आखिरी बार यहां से संसद में प्रतिनिधित्व किया. 1999 में से 2009 तक लगातार यहां से आरजेडी ने संसद में अपना स्थान बनाए रखा. 2009 में पहली बार जेडीयू को जीत मिली और 2014 तक जेडीयू द्वारा आरा सीट का प्रतिनिधित्व संसद में किया गया. 2014 से लेकर मौजूदा समय तक यहां से बीजेपी संसद में प्रतिनिधित्व कर रही है और आर.के. सिंह आरा लोकसभा सीट से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

2014 में पहली बार खिला कमल

जेपी आंदोलन के बाद से लगातार यहां पर बीजेपी जीत के लिए संघर्ष करती रही लेकिन आरके सिंह ने पहली बार 2014 में आरा लोकसभा सीट से जीत हासिल की और इसका नतीजा येय हुआ कि आर.के. सिंह मोदी मंत्रिमंडल में भी जगह बनाने में कामयाब हो गए. 1984 के बाद यहां कोई ऐसा नहीं हुआ जिसे जनता ने लगातार दो बार चुनकर लोकसभा भेजा हो. बेशक पार्टी की जीत लगातार होती रही हो लेकिन 1984 के बाद हर बार यहां से प्रत्याशी के चेहरे बदलते रहे हैं. लगभग 35 साल के बाद आर.के. सिंह ही वो प्रत्याशी हैं जिन्हें लगातार आम जनता ने चुनकर संसद भवन भेजा है.

2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे

2014 में देश में मोदी लहर थी. मोदी लहर के दौरान ही बीजेपी के द्वारा आर.के. सिंह को आरा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया. आर.के. सिंह यानि राजकुमार सिंह ने 2014 में हुए आम चुनाव में अपने मुख्य प्रतिद्वंदी आरजेडी और जेडीयू दोनों को करारा झटका दिया. 2014 तक जेडीयू आरा सीट पर राज कर रही थी लेकिन 2014 के आम चुनाव में जेडीयू की हालत बद से बद्तर हो गई और जेडीयू की प्रत्याशी व सिटिंग एमपी मीना सिंह को जनता ने चौथे नंबर पर धकेल दिया.

पहले नंबर यानि विजेता के रूप में आर.के. सिंह रहे. आर.के सिंह को 3,91,074 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर आरजेडी रही और आरजेडी के प्रत्याशी श्रीभगवान सिंह कुशवाहा को 2,55,204 वोट मिले थे. वहीं CPI(ML)L के प्रत्याशी राजू यादव 98,805 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे और सिटिंग एमपी मीना सिंह 75,962 वोट पाकर चौथे स्थान पर रहीं.

2019 में फिर से खिला कमल, राजू सिंह बड़ी ताकत बनकर उभरे

2019 के आम चुनाव में एक बार फिर से बीजेपी ने अपने मौजूदा एमपी आर.के. सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें चुनावी मैदान में उतारा. आर.के. सिंह ने भी बीजेपी को निराश नहीं किया. आर.के. सिंह ने 2014 के मुकाबले ज्यादा वोट हासिल किए. वहीं, 2019 में 2014 के मुकाबले आरजेडी और जेडीयू कमजोर हुई. 2014 में तीसरे नंबर पर CPI(ML)L के राजू सिंह थे लेकिन 2019 में राजू सिंह को बढ़त मिली.

ये भी कहना सही ही होगा कि आर.के. सिंह को 2014 के मुकाबले जो वोट ज्यादा मिले थे उसी की बदौलन उनकी कुर्सी बची रही क्योंकि राजू सिंह को 2014 के मुकाबले 4 गुना ज्यादा वोट 2019 में मिले थे. बेशक राजू सिंह को 2019 में हार मिली थी लेकिन जहां उन्हें 2014 में 98,805 वोट मिले थे तो 2019 में उन्हें 4,19,195 वोट मिले थे. 

राजू यादव (फाइल फोटो)

यानि कि आरा लोकसभा सीट पर CPI(ML)L के प्रत्याशी राजू यादव हार के बावजूद एक बड़ी हस्ती बनकर उभरे. राजू यादव को हल्के में लेना किसी भी दल के लिए 2024 में भारी पड़ सकता है.

विधानसभा सीट का हाल

आरा में कुल 7 विधानसभा सीट हैं. इन सातों विधानसभा सीटों के नाम हैं संदेश, बरहारा, आरा, अगियान, तरारी, जगदीशपुर और शाहपुर. इनमें से तीन सीटों यानि संदेश, जगदीशपुर और शाहपुर पर आरजेडी मौजूदा समय में विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रही है, जबकि बरहारा, आरा सीट पर बीजेपी और अगियान व तरारी सीट पर CPIML प्रतिनिधित्व कर रही है. अगर विधानसभा सीटों के हिसाल से 2024 में होनेवाले लोकसभा चुनाव का आंकलन किया जाता है तो I.N.D.I.A. गठबंधन के प्रत्याशी को जीत मिल सकती है हालांकि इसके लिए RJD, JDU और कांग्रेस को समझौता करते हुए इस सीट को CPIML को देनी होगी और राजू यादव को ही प्रत्याशी बनाना होगा. राजू यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी, ऐसा आंकड़े कह रहे हैं. हालांकि, राजू यादव के लिए आरजेडी पहले ही आरा सीट की कुर्बानी दे चुकी है ऐसे में जेडीयू और कांग्रेस को आरजेडी का कहना मानना ही होगा. कुल मिलाकर इस बार कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी.

NOTA भी बिगाड़ता है खेला!

2014 के लोकसभा चुनाव में नोटा यानि प्रत्याशियों को हजारों लोगों ने नापसंद भी किया. नोटा को 14,703 वोट मिले थे जो कि कई निर्दलीय प्रत्याशियों को मिले वोट से कहीं ज्यादा थे. 2019 को लोकसभा चुनाव में नोटा के वोट में लगभग डेढ़ गुना की बढ़ोत्तरी देखने को मिली. 2019 के लोकसभा चुनाव में 21,825 वोट पड़े थे.

आरा में कितने वोटर? (2019 के आंकड़ों के मुताबिक)

कुल वोटरों की संख्या  : 20,54,163
कुल पुरुष वोटर : 11,0000 (ग्यारह लाख)
कुल महिला वोटर : 9,00,000 (नौ लाख)
कुल ट्रांसजेंडर्स वोटर : 153