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शिक्षक के बाद अब पदाधिकारियों पर होगी कार्रवाई, एक्शन में शिक्षा विभाग

बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने फिर से पदाधिखारियों को नया टास्क दिया है. यह टास्क दक्ष मिशन को लेकर दिया गया है. केके पाठक ने यह निर्देश मंगलवार को हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कॉल के जरिए दिया है.

Updated on: 08 May 2024, 04:51 PM

highlights

  • शिक्षक के बाद अब पदाधिकारियों पर एक्शन
  • जांच में पाया गया गड़बड़ी तो होगी कार्रवाई
  • शिक्षा विभाग में फर्जी बिल से मची हलचल

Patna:

बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने फिर से पदाधिखारियों को नया टास्क दिया है. यह टास्क दक्ष मिशन को लेकर दिया गया है. केके पाठक ने यह निर्देश मंगलवार को हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कॉल के जरिए दिया है कि जांच के दौरान पदाधिकारी स्कूल में बच्चों का टेस्ट लेंगे. बता दें कि गर्मी की छुट्टी के 22 दिन बीत चुके हैं. इस बीच बच्चों की तैयारी सही से कराई गई है या नहीं. इसकी पूरी जानकारी लेने को कहा गया है. इसके साथ ही जिला शिक्षा पदाधिकारी को यह भी निर्देश दिया गया है कि जांच टीम के अधिकारी स्कूल के निर्धारित समय से पहले विद्यालय के द्वार पर पहुंच जाएंगे और 8 बजे से पहले पहुंचने के बाद स्कूल की फोटो विभाग को भेजेंगे.

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शिक्षक के बाद अब पदाधिकारियों पर एक्शन

साथ ही इसके आधार पर शिक्षकों की अनुपस्थिति रिपोर्ट डीईओ कार्यालय में तैयार करवाई जाएगी. इसके साथ ही जो भी शिक्षक अनुपस्थित हैं, उनका वेतन काट लिया जाएगा. शिक्षा विभाग के ACS ने कहा कि जो भी निरीक्षण पदाधिकारी सही ढंग से काम नहीं करेंगे, उनकी सैलरी काट ली जाएगी. इस काम में विभाग किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगी. आपको बता दें कि बिहार के गोपालगंज में 246 प्लट टू स्कूल हैं. वहीं कुल 1760 प्रारंभिक स्कूल हैं. इस तरह से कुल स्कूलों की संख्या 2006 है. जिसे लेकर 230 जांच अधिकारियों की टीम बनाई गई है. जिला शिक्षा पदाधिकारी का कहना है कि अगर विद्यालय में किसी प्रकार की गड़बड़ी मिलती है तो किसी को भी बख्शा नहीं जा रहा है. 

शिक्षा विभाग में फर्जी बिल से मची हलचल

आपको बता दें कि मंगलवार को जिले के शिक्षा विभाग में एक फर्जी बिल पाया गया. इस फर्जी बिल को बैंक ने पकड़ लिया, नहीं तो 9 लाख का फर्जी भुगतान हो जाता. इस फर्जी बिल के बाद से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. दरअसल, उक्त शिक्षक के नाम पर एरियल का बिल बैंक में भुगतान के लिए पहुंचा था. बैंक मैनेजर को बिल पर दर्ज डीपीओ के दस्तखत को देखकर शक हुआ, जिसके बाद उन्होंने डीपीओ स्थापना को कॉल कर दिया. कॉल पर बात करने के बाद बिल की फोटो मंगवाई गई, जो फर्जी पाया गया. डीपीओ ने बैंक मैनेजर को तुरंत बिल का भुगतान रोकने और जो शख्स बिल लेकर गया था उसे रोकने को कहा, लेकिन उससे पहले ही शख्स वहां से भाग निकला. इस संबंध में बैंक से सीसीटीवी फुटेज भी मांगा गया है. मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी.