Bihar News: बिहार के इस मंदिर में दूसरे देश से आते हैं श्रद्धालु, 90 दिनों के अंदर पूरी होती है मुराद
नेपाल की राजधानी से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां मां दुर्गा को संसारी माता के नाम से पूजा जाता है.
highlights
- 90 दिनों के अंदर पूरी होती है मुराद
- एक दिन में 300 से अधिक की दी जाती है बलि
- नेपाल सरकार ने 16 करोड़ की दी राशि
Araria:
आस्था लोगों को सीमा के बंधन से मुक्त करती है. इसीलिए सारे बंधन को तोड़कर भी वहां पहुंचा देती है. जहां से उनकी आस्था जुड़ी होती है. ऐसा ही एक मंदिर है जहां भारत ही नहीं बल्कि नेपाल की राजधानी से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां मां दुर्गा को संसारी माता के नाम से पूजा जाता है. मान्यता है कि ये माता पूरे संसार की रक्षा करती हैं. अररिया जिले की सिकटी सीमा से सटा हुआ नेपाल का सबसे बड़ा रंगेली बाजार है. जहां बाजार के करीब ही संसारी माता का एक मंदिर है. कहने को तो यह मंदिर है, लेकिन यहां मंदिरों जैसी भव्यता नजर नहीं आती है, बल्कि पेड़ के नीचे एक मंदिर का एक छोटा स्वरूप दिया गया है.
90 दिनों के अंदर पूरी होती है मुराद
मंदिर के पुजारी कृष्ण कोइराला ने बताया कि इस पेड़ का नाम पाखड़ है. उन्होंने बताया कि यह पेड़ कब से है इसकी जानकारी अभी तक सही तरीके से लोगों को नहीं हो पाई है. इस पेड़ से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. लोग इस पेड़ की टहनियों को सुरक्षित रखते हैं. उन्होंने बताया कि इस मंदिर में मुराद मांगने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. मान्यता है कि 90 दिनों के अंदर मांगी मुराद पूरी होती है. ये शक्तिपीठ मंदिर है इस जगह मां भगवती का वास है, जो सभी का कल्याण करती है. मंदिर कमिटी के उपाध्यक्ष रामचंद्र मंडल ने बताया कि इस पेड़ में ही संसारी माता का वास है. ये ही शक्ति पीठ है जो पूरे संसार का कल्याण करती है. इसी लिए इस पेड़ को हमलोग संरक्षित करते हैं.
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एक दिन में 300 से अधिक की दी जाती है बलि
उन्होंने बताया कि यहां एकादशी के दिन बलि दी जाती है. शनिवार और मंगलवार को 300 से अधिक बलि दी जाती है. उन्होंने बताया कि एक खास बात ये है कि बलि किये गए मांस के प्रसाद को मंदिर कैम्पस में ही बना कर ग्रहण करना होता है. इसे बाहर नहीं ले जाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस मंदिर को काफी भूमि उपलब्ध है. इस लिए नेपाल सरकार इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है. इसलिए इस विशाल परिसर में 85 किचन के साथ बड़े बड़े डाइनिंग हॉल के साथ श्रद्धालुओं के बैठने के लिए हवा महल का निर्माण किया गया है. जो लगभग पूरा हो गया है.
नेपाल सरकार ने 16 करोड़ की दी राशि
इस कार्य के लिए नेपाल सरकार ने 16 करोड़ की राशि भी दी है. इंडोनेपाल सीमा से इसकी दूरी महज दो किलोमीटर के करीब है. इसलिए इस मंदिर में भारतीय क्षेत्र से हजारों की संख्या में रोजाना श्रद्धालु आते हैं. दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां भव्य मेला भी लगता है. यह मंदिर शक्तिपीठ है इसलिए यहां सभी मनोकामना पूर्ण होती है, और जो भी मंदिर परिसर के अंदर प्रवेश करता है. वह एक सुरक्षा कवच में घिर जाता है.
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