बिहार के 19% दलित वोट बैंक पर सबकी निगाहें, INDI गठबंधन और NDA ने झोंकी ताकत
एक तरफ जहां बिहार की राजनीति दिन-ब-दिन गर्म होती दिख रही है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी और भारतीय गठबंधन के दलों ने बिहार के 19 फीसदी दलित वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
highlights
- बिहार के 19% दलित वोट बैंक पर सबकी नजरें
- INDI गठबंधन और NDA ने झोंकी ताकत
- अशोक चौधरी, मांझी या चिराग? कौन बनेगा खेवनहार
Patna:
Bihar Politics News: एक तरफ जहां बिहार की राजनीति दिन-ब-दिन गर्म होती दिख रही है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी और भारतीय गठबंधन के दलों ने बिहार के 19 फीसदी दलित वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है. बता दें कि 2024 से पहले 19 फीसदी दलित वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए नीतीश कुमार और बीजेपी ने कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है. दरअसल, बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने दलित वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए अपनी राजनीति तेज कर दी है. बता दें, जाति जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद दोनों खेमे दलित कोटे के 19.65 फीसदी वोट बैंक को अपने पाले में लाने की रणनीति पर रणनीति बनाने में जुट गए हैं. वहीं पिछले महीने ही बीजेपी ने रविदास जयंती के बहाने पूरे बिहार से दलित कार्यकर्ताओं को पटना में जुटाया था, जिसमें दलित कोटे से आने वाले केंद्रीय मंत्री गहलोत शामिल हुए थे.
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भीम संसद के जरिए जदयू ने किया बड़ा दावा
आपको बता दें कि आने वाले दिनों में बीजेपी जिला स्तर पर दलितों के साथ समन्वय स्थापित करने के कार्यक्रम बना रही है. वहीं जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार ने 26 नवंबर को पटना में भीम संसद के नाम से एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि पूरे बिहार से 1 लाख से ज्यादा दलित वोटर शामिल होंगे. इस भीम संवाद की जिम्मेदारी अशोक चौधरी को दी गयी है. इस भीम संसद में सभी दलित वोटरों को नीतीश के काम के बारे में बताया जाएगा. साथ ही जातिगत आंकड़ों के बाद दलितों के लिए शुरू की जाने वाली योजनाओं के बारे में बताया जाएगा और उन्हें अपने पक्ष में लाने का प्रयास किया जाएगा.
जीतन राम मांझी और चिराग बनेंगे बीजेपी के कप्तान
इसके साथ ही आपको बता दें कि बिहार में सत्ता के फेरबदल और लोकसभा की 40 सीटों के लिए बिहार में दलित समुदाय का 19 फीसदी वोट बैंक सबसे अहम माना जाता है. यही वजह है कि बीजेपी और राजद, जेडीयू और कांग्रेस का गठबंधन अलग-अलग रणनीति बना रहा है. 2024 में दलित वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी की ओर से जीतन राम मांझी और चिराग पासवान अहम भूमिका निभाएंगे. इसके लिए बीजेपी रणनीति तैयार कर रही है. हाल ही में जीतन राम मांझी पर दिए गए नीतीश के बयान के बाद पीएम मोदी समेत कई बीजेपी नेताओं ने इसे दलित स्वाभिमान से जोड़कर हमला करना शुरू कर दिया था, जिसे इसी राजनीति का हिस्सा बताया जा रहा है. बता दें कि आने वाले दिनों में चिराग पासवान भी दलित वोट बैंक को लुभाने के लिए पूरे बिहार में घूमना शुरू करेंगे.
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