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जीवित मनुष्य का अधिकार मिलने के बाद गंगा नदी को हाई कोर्ट का नोटिस, पूछा- क्यों ट्रेच निर्माण के लिये दी जमीन

गंगा नदी को जीवित मनुष्य का अधिकार देने के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में गंगा नदी से जवाब मांगा गया है कि वो ये बताए कि उसकी ज़मीन को ट्रेंच निर्माण के लिये क्यों दिया गया है।

Updated on: 29 Apr 2017, 12:23 AM

नई दिल्ली:

गंगा नदी को जीवित मनुष्य का अधिकार देने के बाद नैनीताल हाईकोर्ट ने कानूनी नोटिस भेजा है। नोटिस में गंगा नदी से जवाब मांगा गया है कि वो ये बताए कि उसकी ज़मीन को ट्रेंच निर्माण के लिये क्यों दिया गया है।

खदरी खड़क के ग्राम प्रधान स्वरूप सिंह पुंडीर की याचिका पर पर हाईकोर्ट के जज वीके बिष्ट और आलोक सिंह की बेंच ने ये नोटिस जारी किया है।

पुंढीर ने अपनी याचिका में कहा है कि 2015 में सरकार ने बिना ग्राम पंचायत के नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के ऋषिकेश पालिका को 10 एकड़ भूमि ट्रेंचिंग ग्राउंड के लिए दे दी।

हाईकोर्ट गंगा नदी, केंद्र सरकार, सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, राज्य पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, और ऋषिकेश निगम को नोटिस जारी कर 8 मई तक जवाब देने का निर्देश दिया है।

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गंगा को जीवित मनुष्य का दर्जा देने के बाद अधिकारियों को गंगा का अभिभावक बनाया गया है। इसमें राज्य के चीफ सेक्रेटरी, नमामी गंगे के डायरेक्टर और एडवोक्ट जनरल शामिल हैं। इन लोगों को गंगा की तरफ से कोर्ट की नोटिस का जवाब देना होगा।

हाईकोर्ट ने 21 मार्च 2017 को अपने एक और एतिहासिक फैसले में गंगा और यमुना नदियों को जीवित मनुष्य के समान अधिकार देने का आदेश दिया था। ताकि इनका संरक्षण किया जा सके।

कोर्ट का मानना है कि जीवित मनुष्य का दर्जा देने से गंगा के दूषित होने से मानव जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

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