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सचिन तेंदुलकर ने बताया कि टीम इंडिया क्यों हारी थी 2003 का वर्ल्ड कप फाइनल

तेंदुलकर के मुताबिक, 'टी20 क्रिकेट उस समय होता तो खिलाड़ियों का रवैया अलग होता क्योंकि तब 359 रन बनाना मुश्किल था। आज टी20 के दौर में यह आसान लगता है।'

Updated on: 24 May 2017, 11:48 AM

नई दिल्ली:

मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने कहा कि टी-20 क्रिकेट के आने के बाद से बल्लेबाजों के खेल में काफी बदलाव आया है और 2003 में ऐसा होता तो वर्ल्ड कप भारत जीत जाता। भारत साल 2003 में हुए वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहा था हालांकि उसे ऑस्ट्रेलिया से 125 रनों से हार मिली थी।

सचिन ने अपनी जिंदगी पर आधारित आने वाले फिल्म 'सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स' से जुड़े मुंबई में हुए एक कार्यक्रम में कहा, 'अगर आज के दौर में 2003 वाले वर्ल्ड कप का फाइनल खेला जाता तो खिलाड़ी दूसरी तरीके से खेलते।'

बता दें कि ऑस्ट्रेलिया ने उस खिताबी मुकाबले में दो विकेट पर 359 रन बनाये थे जिसके जवाब में भारतीय टीम 234 रन पर आउट हो गई थी।

तेंदुलकर ने कहा, 'हम उस मैच में उत्साह से भरे थे और पहले ही ओवर से काफी उत्साहित थे। यदि उन्हीं खिलाड़ियों को आज मौका मिलता तो खेल के प्रति रवैया दूसरा होता।'

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तेंदुलकर के मुताबिक, 'टी20 क्रिकेट उस समय होता तो खिलाड़ियों का रवैया अलग होता क्योंकि तब 359 रन बनाना मुश्किल था। आज टी20 के दौर में यह आसान लगता है।'

तेंदुलकर ने इस मौके पर बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष राजसिंह डुंगरपूर की भी तारीफ की। तेंदुलकर ने कहा, 'राज भाई ने मुझसे साफ कहा था कि मैं अपनी परीक्षा पर ध्यान दूं। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम वेस्टइंडीज (1989) नहीं जा रहे हो। रणजी सेमीफाइनल के दौरान हम दिल्ली में खेल रहे थे और मैं नेट अभ्यास कर रहा था।'

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सचिन ने कहा कि राजसिंह ने न केवल उनका समर्थन किया बल्कि उनकी जिंदगी में भी अहम रोल निभाया।

तेंदुलकर ने बताया कि उनके बच्चे सारा और अर्जुन उनकी फिल्म देख चुके हैं दोनों ने फिल्म की तारीफ भी की है। सचिन की जिंदगी पर बनी फिल्म 26 मई को रिलीज हो रही है।

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