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Motilal Nehru Birth Anniversary 2024: देश के सबसे बड़े और महंगे वकील थे मोतीलाल नेहरू,इन देशों से आए थे फर्नीचर और कारें

Motilal Nehru Birth Anniversary: मोतीलाल नेहरू (6 मई 1861 - 6 फरवरी 1931) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता और भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे. वे एक प्रसिद्ध वकील और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे.

Updated on: 06 May 2024, 06:25 PM

नई दिल्ली:

Motilal Nehru Birth Anniversary: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता और राष्ट्रवादी आंदोलन के अगुवा मोतीलाल नेहरू की आज जयंती है. 6 मई 1861 को पंडित मोतीलाल नेहरू का जन्म हुआ था. पंडित मोतीलाल नेहरू की कहानी उस वक्त के इलाहाबाद के आनंद भवन से शुरू होती है, जो कभी उनके लिए आलीशान आशियाना तो कभी कांग्रेस का हेडक्वार्टर बन गया.  इलाहाबाद हाईकोर्ट में उन्होंने जब अपना पहला केस लड़ा. उस वक्त बतौर फीस 5 रुपए मिले थे.. तब 19वीं सदी खत्म हो रही थी और 20वीं शताब्दी दस्तक दे रही थी. महज कुछ साल की वकालत में उनकी फीस हजारों में थी. कैंब्रिज से वकालत की परीक्षा में टॉप करने वाले उस बैरिस्टर का नाम था- मोतीलाल नेहरू. इलाहाबाद का आनंद भवन का कोना कोना मोतीलाल नेहरू की शख्सियत की कहानी सुनाता है. 1899 में मोतीलाल नेहरू ने इस भव्य इमारत को 20 हजार रु. खरीदा था. आज ये अनमोल है, इतिहास की धरोहर है.

आनंद भवन में हुआ था इंदिरा का विवाह

नन्ही इंदिरा ने आनंद भवन के आंगन में लुका छिपी खेलते बचपन बिताया. सियासत का ककहरा भी इसी घर से सीखा. आनंद भवन का ये चबूतरा 26 मार्च 1942 की उस तारीख का गवाह है, जब इंदिरा गांधी. विवाह के बंधन में बंधींं. संगमरमर के इसी चबूतरे पर पूरे विधि विधान से इंदिरा और फिरोज गांधी का विवाह हुआ था. आनंद भवन को मोतीलाल नेहरू ने बड़े शौक से सजाया था. यहां फर्नीचर यूरोप और चीन से आए थे. उन दिनों देश में कारें नहीं बनती थीं, विदेश से खरीदकर मंगाई जाती थीं. ये वो वक्त था, जब पूरे इलाहाबाद में एक भी कार नहीं थी. मोतीलाल नेहरू ने 1904 में इंपोर्टेड कार मंगवाई जो शहर की पहली प्राइवेट कार थी.

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मोतीलाल नेहरू के पास सब कुछ था. बेशुमार दौलत, टॉप के बैरिस्टर के रूप में शोहरत, लेकिन  दिल में कसक थी, क्योंकि उनका देश गुलाम था. मोतीलाल ने दौलत  और वकालत को किनारे कर दिया और कांग्रेस से जुड़कर आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. उनका घर स्वतंत्रता सेनानियों का अड्डा बन गया. मोतीलाल नेहरू ने बड़े ही शौक से संवारे गए आनंद भवन को कांग्रेस को सौंप दिया और इसका नाम बदलकर स्वराज भवन कर दिया गया.

इंदिरा गांधी ने आनंद भवन को भी देश को समर्पित किया
आनंद भवन को  लाल बहादुर शास्त्री, सुभाषचंद्र बोस और खान अब्दुल गफ्फार खान जैसे महान राष्ट्रभक्त नेताओं की मेजबानी का मौका मिला. महात्मा गांधी भी यहां मेहमान बनकर आए थे. आगे चलकर मोतीलाल नेहरू ने अपने लिए एक और घर बनवाया. उसका नाम भी आनंद भवन रखा. 1970 में इंदिरा गांधी ने आनंद भवन को भी देश को समर्पित कर दिया...प्रयागराज में आज भी ये दोनों इमारतें स्वतंत्रता संग्राम और गांधी नेहरू परिवार के इतिहास की गवाह देती हैं.

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