वैज्ञानिकों ने खोज निकाला सबसे छोटा तारा
नया तारा अकार में शनि ग्रह से थोड़ा बड़ा है, EBLM J0555-57Ab नाम से जाना जाएगा
नई दिल्ली:
वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड का सबसे छोटा तारा खोज निकला है। यह नया तारा अकार में शनि ग्रह से थोड़ा बड़ा है। माना जा रहा है कि इसके कक्ष में पृथ्वी के आकार के ग्रह मौजूद है। ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने लगभग 600 प्रकाश वर्ष दूर स्थित इस तारे को ढूंढ निकाला। इसे EBLM J0555-57Ab नाम से जाना जाएगा।
रिसर्चर्स का कहना है कि इससे छोटे तारे का होना संभव नहीं है क्यूंकि हाइड्रोजन के नूक्लीई को हीलियम में विलय के लिए जितना वजन होना चाहिए इसका वजन उतना ही है। अगर इस से काम वजन होगा तो तारे के भीतर का दबाव इस प्रक्रिया को पूरा नहीं होने देगा। शनि ग्रह से थोड़े से बड़े इस तारे के सतह का गुर्त्वाकर्षण खिंचाव हमारी पृथ्वी के गुर्त्वाकर्षण से 300 गुना अधिक है।
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रिसर्चर्स के अनुसार यह खोज इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि इसके कक्ष में पृथ्वी जैसे ग्रह मजूद है जिनकी सतहों पर पानी के मौजूद होने की संभावना है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के स्नातकोत्तर के छात्र एलेक्सेंडर बॉयटिशर ने बताया, 'हमारे अनुसंधान से पता चला कि कोई तारा कितना छोटा हो सकता है। अगर इस टारे का वजन इस से थोड़ा भी काम होता तो तारा बनने की प्रक्रिया पति और यह ड्वार्फ में परिवर्तित हो जाता।'
इस तारे के वजन की तुलना TRAPPIST-1 के वजन से की जा सकती है। लेकिन इसका रेडियस उससे लगभग 30 प्रतिशत छोटा है।
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