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पीएम कार्यालय ने एचआरडी मंत्रालय को दी सलाह- सभी स्कूल अपनाए सैनिक स्कूल का मॉडल

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एचआरडी मंत्रालय को सैनिक स्कूल के एलिमेंट को रेग्यूलर स्कूलों में भी शामिल करने की सलाह दी है- जिसका लक्ष्य अनुशासन, फिजिकल फिटनेस और देशभक्ति को बढ़ावा देना है।

Updated on: 21 Jul 2017, 01:21 PM

highlights

  • पीएमओ ने एचआरडी मंत्रालय को सैनिक स्कूल के एलिमेंट को रेग्यूलर स्कूलों में भी शामिल करने की सलाह दी है।
  • एचआरडी मंत्रालय, केन्द्रीय विद्यालयों और जवाहर नवोदय विद्यालय में सैनिक स्कूलों जैसी सुविधाओं को लागू करने की तैयारी में है।

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) को सैनिक स्कूल के एलिमेंट को रेग्यूलर स्कूलों में भी शामिल करने की सलाह दी है- जिसका लक्ष्य अनुशासन, फिजिकल फिटनेस और देशभक्ति को बढ़ावा देना है।

एचआरडी मिनिस्ट्री के सीनियर अधिकारियों ने मंगलवार को पीएमओ द्वारा इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बुलाई गयी बैठक में भाग लिया।

प्रकाश जावड़ेकर की अगुवाई वाला मंत्रालय, केन्द्रीय विद्यालयों और जवाहर नवोदय विद्यालय में सैनिक स्कूलों जैसी सुविधाओं को लागू करने की तैयारी में है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के साथ भी पीएमओ के सुझाव पर विचार किया जा रहा है। देश भर में करीब 20,000 प्राइवेट स्कूलों को सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है।

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सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय का मानना है कि जवाहर नवोदय विद्यालय में इस तरह के एलिमेंट को लाना आसान होगा। केंद्र के द्वारा संचालित ये विद्यालय, ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं। जवाहर नवोदय विद्यालयों में छात्रों का चयन एंट्रेंस एग्जाम के द्वारा किया जाता है।

1961 में तत्कालीन रक्षा मंत्री वी के कृष्ण मेनन द्वारा सैनिक स्कूल को डिफेंस सर्विस के लिए युवाओं को तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। सैनिक स्कूलों में छात्रों को एनसीसी में शामिल होना, कठोर शारीरिक प्रशिक्षण से गुजरना एवं अनुशासित जीवन जीना और देशभक्ति के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अभी देश में 25 ऐसे स्कूल हैं, जो रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं।

एनडीए-2 सरकार ने इस आइडिया को पहली बार पिछले साल अक्टूबर में सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन (केब) की 64 वीं बैठक में रखा था। केब शिक्षा से संबंधित मामलों पर केंद्र सरकार और राज्यों का मार्गदर्शन करता है।

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