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जानें, सबसे पहले कैसे और कहां हुई थी शिवलिंग की स्थापना

सृष्टि के रचयिता देवों के देव महादेव को श्रद्धालु शिवलिंग के रूप में पूजते हैं। शिव पुराण के अनुसार, शिव शंकर को ही जल्द मनोकामना पूर्ण करने वाले भगवान का दर्जा दिया गया है।

Updated on: 01 Nov 2018, 03:58 PM

नई दिल्ली:

सृष्टि के रचयिता देवों के देव महादेव को श्रद्धालु शिवलिंग के रूप में पूजते हैं. शिव पुराण के अनुसार, शिव शंकर को ही जल्द मनोकामना पूर्ण करने वाले भगवान का दर्जा दिया गया है. अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं और उनकी पूजा करते हैं तो आपके लिए ये जानना जरूरी है कि सबसे पहले शिवलिंग कहां स्थापित हुआ था. आइये हम आपको बताते हैं सबसे पहले शिव शंकर शिवलिंग के रूप में कहां स्थापित हुए और इनके पूजन का प्रारंभ कहां से हुआ.

क्या कहता है लिंगमहापुराण

लिंगमहापुराण में सबसे पहले शिवलिंग की स्थापना कहां हुई. इसका सिलसिलेवार ढ़ग से वर्णन किया गया है. लिंगमहापुराण के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच अपनी-अपनी श्रेष्ठता साबित करने को लेकर विवाद हो गया.

लिंग के रहस्य का पता लगाने में जुटे थे ब्रह्मा और विष्णु

दोनों अपने आपको श्रेष्ठ बताने के लिए एक-दूसरे का अपमान करने लगे. लेकिन जब दोनों का विवाद चरम सीमा तक पहुंच गया, तब अग्नि की ज्वालाओं से लिपटा हुआ एक विशाल लिंग दोनों देवों के बीच आकर स्थापित हो गया.

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इसके बाद दोनों देव इस लिंग के रहस्य का पता लगाने में जुट गए. भगवान ब्रह्मा उस लिंग के ऊपर की तरफ बढ़े और भगवान विष्णु नीचे की ओर जाने लगे. हजारों वर्षों तक जब दोनों देव इस लिंग का पता लगा पाने में नाकाम रहे, तो वह अपनी हार कबूलते हुए फिर उसी जगह पर पहुंचे जहां पर उन्होंने उस विशाल लिंग को देखा था.

इस विशाल लिंग से प्रकट हुए महादेव

लिंग के पास पहुंचते ही दोनों देव उस लिंग के पास से ओम स्वर की ध्वनि सुनाई देने लगी. इस स्वर को सुनकर दोनों को यह अनुमान हो गया है कि यह कोई शक्ति है. इसलिए दोनों देव ओम के स्वर की आराधना करने लगे.

ब्रह्मा और विष्णु की आराधना से भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए और उस विशाल लिंग से स्वयं प्रकट हुए. उन्होंने दोनों देवों को सदबुद्धि का वरदान दिया और वहीं उस विशाल शिवलिंग के रुप में स्थापित होकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए. लिंगमहापुराण के अनुसार यही विशाल लिंग भगवान शिव का सबसे पहला शिवलिंग माना जाता है.