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शिव के अर्धनारीश्वर रूप के पीछे छिपा है ये वैज्ञानिक रहस्य

देवों के देव महादेव के अर्धनारीश्वर रूप के पीछे छिपे रहस्य को अभी तक कोई भी सिद्ध नहीं कर पाया है।

Updated on: 08 Nov 2016, 05:31 PM

नई दिल्ली:

देवों के देव महादेव के अर्धनारीश्वर रूप के पीछे छिपे रहस्य को अभी तक कोई भी सिद्ध नहीं कर पाया है। आपने नीलकंठधारी के अर्धनारीश्वर रूप में बारें में कई किताबों में पढ़ा और सुना होगा, लेकिन इस रूप के पीछे छिपे रहस्य के बारें में शायद ही किसी को पता होगा। आज हम आपको बताते हैं इसके पीछे की छिपी कहानी को।

सृष्टि के विस्तार में भगवान शिव का अहम योगदान

हिंदू धर्म के अनुसार, सृष्टि का विस्तार करने में भगवान शिव का अहम योगदान है। ब्रह्मा जब सृष्टि को आगे बढ़ाने में असमर्थ हो गए थे, तब वे भगवान महादेव के पास गए और उनसे प्रार्थना की। इसके बाद शिव शंकर ने उन्हें अपना अर्धनारीश्वर रूप दिखाकर मैथुनी सृष्टि करने का उपाय बताया था। वहीं इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हुए हैं।

विज्ञान के अनुसार, मनुष्य में 46 गुणसूत्र पाए जाते हैं। गर्भाधान के समय पुरुषों के आधे क्रोमोजोम्स (23) तथा स्त्रियों के आधे क्रोमोजोम्स (23) मिलकर संतान की उत्पत्ति करते हैं। इन 23-23 क्रोमोजोम्स के संयोग से ही संतान की उत्पन्न होती है। जो बात विज्ञान आज कह रहा है, अध्यात्म ने उसे हजारों साल पहले ही ज्ञात करके कह दी थी कि पुरुष में आधा शरीर स्त्री का तथा स्त्री में आधा शरीर पुरुष का होता है। इसी कारण हिंदू धर्म में भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप दिखाया गया है। शिवलिंग में भी लिंग भगवान शंकर का एवं जलाहारी माता पार्वती का रुप मानी गई है। इसी से सृष्टि उत्पन्न होती है।

सृष्टि रचना में पुरुष और स्त्री के सहयोग

पुरुष और स्त्री के मिलाप से ही संतान का जन्म होता हैं। इसलिए हिंदुओं के अधिकांश देवताओं को स्त्रियों के साथ दिखाया जाता है। हिंदू धर्म में कोई भी शुभ कार्य स्त्री के बिना पूर्ण नहीं माना जाता, क्योंकि वह उसका आधा अंग है। अकेला पुरुष अकेला माना जाता है। वहीं ये बात स्त्रियों पर भी लागू होती है। वह भी पुरुषों के बिना अधूरी मानी जाती हैं।

इसलिए शिव का अर्धनारीश्वर रूप ही देवों के देव महादेव की पहचान है।