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शरद पूर्णिमा 2017: कोजागर पर देवी लक्ष्मी की ऐसे करें पूजा, होगा धन लाभ

चांद 16 कलाओं से संपूर्ण होकर रातभर अपनी किरणों से अमृत वर्षा करता है। ऐसे में रात को आसमान के नीचे खीर रखने से वह अमृत के समान हो जाती है।

Updated on: 05 Oct 2017, 08:20 AM

नई दिल्ली:

अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। यह 5 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इसे कोजागरी या कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस रात को जागरण करने और चांद की रोशनी में खीर रखने का विशेष महत्व होता है।

शास्त्रों के मुताबिक, देवी लक्ष्मी का जन्म शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस दिन वह भगवान विष्णु के साथ अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर पृथ्वी का भ्रमण करती हैं। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी पूरी 16 कलाओं का प्रदर्शन करता है।

चांद 16 कलाओं से संपूर्ण होकर रातभर अपनी किरणों से अमृत वर्षा करता है। ऐसे में रात को आसमान के नीचे खीर रखने से वह अमृत के समान हो जाती है।

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ये है पूजा की विधि

शरद पूर्णिमा को सुबह अपने इष्ट देवता को ध्यान में रखकर पूजा-अर्चना करें। शाम को चंद्रोदय होने पर चांदी या मिट्टी से बने दिए में घी का दीपक जलाएं। प्रसाद के लिए खीर बनाएं। रातभर इसे चांद की चांदनी में रखें। फिर मां लक्ष्मी को भोग लगाने के बाद प्रसाद रूपी खीर खाएं।

शरद पूर्णिमा का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, चांद साल में सिर्फ एक बार अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस अवसर पर सर्वाथ सिद्धि योग भी बनता है। ग्रह और नक्षत्र का यह संयोग बहुत शुभ होता है, जिससे धन लाभ होता है।

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