सालों बाद मकर संक्रांति पर बन रहा है दुर्लभ संयोग, जानिये क्यों खाया जाता है तिल-गुड़ और क्यों उड़ाई जाती है पतंग
साल में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं जिसमें मकर संक्रांति का सबसे अधिक महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए दान-दक्षिणा और स्नान का विशेष महत्व होता है मगर इस साल की मकर संक्रांति का महत्व कुछ ज्यादा खास है।
नई दिल्ली:
साल में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं जिसमें मकर संक्रांति का सबसे अधिक महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिए दान-दक्षिणा और स्नान का विशेष महत्व होता है मगर इस साल की मकर संक्रांति का महत्व कुछ ज्यादा खास है।
सूर्य सुबह 7 बजकर 38 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे और इस दिन शनिवार का दिन है। लंबे अर्से के बाद ये शुभ संयोग बना है। शनिवार को मकर संक्रांति का पड़ना एक दुर्लभ संयोग माना जाता है।
शनि को ऐसे करें खुश
शनि महाराज को खुश करने का आज सबसे बड़ा दिन है। सबसे ज्यादा महत्व है सूर्य देव का अपने पुत्र शनि के घर में आना। इस साल मकर संक्रांति पर कुछ ऐसा संयोग बना है जिससे सूर्य और शनि दोनों को एक साथ खुश किया जा सकता है और यह ऐसा संयोग है जो कई वर्षों के बाद बना है।
मकर संक्रांति से दिन बढने लगता है और रात की अवधि कम होती जाती है। चूंकि सूर्य ही ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्त्रोत है इसलिए हिंदू धर्म में मकर संक्रांति मनाने का विशेष महत्व है। वैसे तो इस दिन कई ऐसी चीजें हैं जो खाई जाती हैं, जैसे मूंगफली, दही चुड़ा, गुड़, तिल के लड्डू और खिचड़ी। लेकिन तिल और गुड़ का खास महत्व होता है। आइए हम आपको आज इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी के सेवन के महत्व के बारे में बताते हैं।
तिल और गुड़ का धार्मिक महत्व
संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं, जो सूर्य देव के पुत्र होते हुए भी सूर्य से शत्रु भाव रखते हैं। इसलिए शनिदेव को खुश करने के लिए इसलिए मकर संक्रांति पर तिल का दान किया जाता है। साथ ही ऐसी मान्यता है कि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत होती है, तो कड़वी बातों को भुलाकर नई शुरुआत की जाती है। इसलिए गुड़ से बनी चिक्की, लड्डू और, तिल की बर्फी खाई जाती है।
तिल और गुड़ का सेवन का वैज्ञानिक कारण
सर्दियों में तापमान गिरने के कारण ठंड बढ़ जाती है। शरीर को गर्म रखने के लिए तिल और गुड़ खाया जाता है। तिल में कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम तथा फॉस्फोरस पाया जाता है। इसमें विटामिन बी और सी की भी काफी मात्रा होती है।
तिल व गुड़ मिलाकर खाने से शरीर पर सर्दी का असर कम होता है। यही वजह है कि मकर संक्रांति का पर्व जो कड़ाके की ठंड के वक्त जनवरी महीने में आता है, उसमें हमारे शरीर को गर्म रखने के इरादे से तिल और गुड़ के सेवन पर जोर दिया जाता है।
दान और स्नान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन ब्राह्मणों को अनाज, वस्त्र, ऊनी कपड़े, फल आदि दान करने से आपको शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। कहते हैं कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर प्राप्त होता है।
मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ऐसी कहावत है कि मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में डुबकी लगाने से सभी तीर्थों में यात्रा का पुण्य मिल जाता है और व्यक्ति के कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं। बंगाल के गंगासागर, बनारस आदि में मकर संक्रांति के दिन विशाल मेला लगता है और देश-विदेश से श्रद्धालु आकर गंगासगर में डुबकी लगाते हैं।
पतंग उड़ाने का महत्व
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के पीछे कोई धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण नहीं है। संक्रांति पर जब सूर्य ढ़लान होता है तब इसकी किरणें हमारे शरीर के लिए औषधि का काम करती है। पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आ जाता है जिससे सर्दी में होने वाले रोग नष्ट हो जाते हैं।
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