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करवा चौथ 2017: ये है पूजा का शुभ मुहूर्त, जानें कितने बजे उदय होगा चांद

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इसे करक चतुर्थी भी कहते हैं। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

Updated on: 08 Oct 2017, 04:53 AM

नई दिल्ली:

देशभर में त्यौहारों की सीजन चल रहा है। नवरात्र और दशहरा खत्म होने के बाद अब लोग करवा चौथ और दिवाली की तैयारियों में जुट गए हैं।

8 अक्टूबर को सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखेंगी। लेकिन पूजा करने से पहले शुभ मुहूर्त और चंद्रमा के उदय होने का समय जान लीजिए...

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इसे करक चतुर्थी भी कहते हैं। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कुवांरी लड़कियां भी अच्छा पति प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखती हैं।

इस व्रत में शिव, पार्वती और कार्तिक की पूजा की जाती है। महिलाएं रात को चंद्रमा को जल अर्पित करती हैं। फिर चांद और पति को छलनी से देखती हैं। मान्यता के अनुसार छलनी से चंद्रमा को देखते हुए पति को देखना शुभ माना जाता है।

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करवा चौथ के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगा। शाम को 7 बजकर 9 मिनट पर शुभ मुहूर्त खत्म हो जाएगा। चंद्रोदय का समय 8 बजकर 40 मिनट बताया जा रहा है।

करवा चौथ की पौराणिक कथा

महाभारत के वर्ण पर्व के अनुसार, करवा चौथ के दिन देवी सावित्री ने पति के प्राण वापस लाने के लिए यमदूत से प्रार्थना की थी।

वहीं इस व्रत को लेकर एक और कथा प्रचलित है। एक गांव में करवा नाम की स्त्री थी। एक दिन उसका पति नदी में नहाने गया तो उसे मगरमच्छ ने पकड़ लिया। उसने जोर-जोर से अपनी पत्नी को आवाज लगाई।

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करवा ने वहां पहुंचते ही मगरमच्छ को कच्चे धागे से बांध दिया और यमराज के साथ भागकर गई। करवा ने यमराज से कहा कि अगर उन्होंने पति के प्राणों की रक्षा नहीं की तो वह उन्हें श्राप दे देंगी।

यमराज ने डरकर मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और उसके पति को दीर्घायु का आशीर्वाद दिया।

व्रत में ना करें ये गलतियां

- करवा चौथ में महिलाओं को विशेष तौर पर लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। हिंदू धर्म में लाल रंग को शुभ माना जाता है। गलती से भी नीले और काले रंग के कपड़े ना पहनें।

- व्रत में महिलाओं को किसी अन्य व्यक्ति को सफेद कपड़े, दूध, दही और चावल नहीं देना चाहिए।

- चांद देखने के बाद मां गौरी की पूजा जरूर करें। पूजा पूर्ण होने के बाद मां को पूरी-हलवा के प्रसाद का भोग लगाएं।

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